Saturday, 20 February 2016

जाटों को आरक्षण चाहिए ? भाग -1

जाटों को आरक्षण चाहिए ?
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जिनके पूर्वज महाराणा रणजीत सिंह रहे हों , जिनहोने मुग़लो के छकके छुड़ा दिये थे / या जिनके पूर्वज महारणा भीम सिंह राणा और छतर सिंह राणा रहे हो , जिनहोने ‪#‎ग्वालियर‬ के किले पर 1740 से 1767 तक निष्कंटक राज किया हो , या फिर महारणा या फिर भरतपुर के राजा सूरजमल रहे हों जिनहोने 1761 मे आगरे का किला मुग़लों के हाथ से छें लिया था , जो आज तक अपनी आन बान और शान के लिए मशहूर रहे हों , उनकी वंशजे इतनी निकम्मी हो जाएंगी कि सरकारी भीख की गुजारिश करेंगी ?
आप जानते ही हैं कि संविधान मे शजीसन किस तरह ‪#‎नाक‬ के आधार पर जातियों को घुसेड़ा गया है / ऊंची नाक वाले अलग और नीची नाक वाले अलग , एक ‪#‎रिशले_स्मृति‬ की देन है/
मात्र 115 साल पूर्व वर्ण , जो कि श्रम-विभाजन का आधार था , उसको खत्म कर गोरे अंग्रेजों ने भारतीय समाज को जातियों मे विखंडित किया , और वर्ण के ब्रामहन क्षत्रिय वैश्य को आज जाति बनाकर पेश किया और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ - ‪#‎शूद्रकर्म‬ पर आधारित व्यवसाय नष्ट किया तो उनके वंशजों को SC बनाकर 1936 मे संविधान का हिससा बना दिया / बाद मे काले अंग्रेजों ने उन्हीं की नकल कर एक ओबीसी वर्ग अलग चिन्हित किया / कितने प्रतिशत लोग नौकरी कर रहे हैं सरकार मे ? शायद भारत की कुल जनसंख्या का मात्र 1% /
उसमे घुसने के लिए मरे जा रहे हो ? अपनी मेधा और भुजाओं मे दम नहीं बचा क्या ?
‪#‎नोट‬: और एक बात और मैंने कल भी एक पोस्ट लगाया था कि देश का ध्यान बनाते के लिए कहीं इसके पीछे ‪#‎इशाई_मिशनरियों‬ और ‪#‎सोनिया‬ के चमचों, और ‪#‎वाम_बुद्दिपिशाचों‬ का हांथ तो नहीं ? क्योंकि देश का ध्यान बंटाने हेतु पिछले 10 वर्षों मे लूटे हुये खजाने मे से कुछ खर्च भी हो जाय तो चिंता नकको ? और जाट तो वैसे भी मार्शल रेस है राजपूतों की तरह : यानि बुद्धि घुटने मे , और हाथ मे लट्ठ /
अभी आपको पता ही है कि ‪#‎सुभास_चन्द्र_बोस‬ की फाइलों से आपका ध्यान हटाना आवश्यक है / और यकीन मानिए ‪#‎यंग_इंडिया‬ और नेशनल हराल्ड के केस मे ‪#‎माँ_बेटे‬ को तिहाड़ जाना ही पड़ेगा /
इसलिए मीडिया और सोसल मीडिया को नया नया मसाला परोसते रहिए - कभी ‪#‎एखलाक_सिंड्रोम‬ कभी ‪#‎वे_मुल्ला‬ , कभी ‪#‎कन्हैया‬ और अब ये जाट /

1 comment:

  1. डॉक्टर साहब..,
    आप हमेशा 'अछुत कौन थे?' और 'शुद्र कौन थे?' के सिवाय अपनी बात रख ही नही सकते है..?
    कमाल है !
    क्या अम्बेडकर जी के अन्य 20 खण्ड पढ़ने लायक नही या आप पढ़ना नही चाहते है??
    ' रिडल्स इन हिन्दुज्म ' पर भी अपने विचार रखे.

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