Saturday 6 February 2016

अपनी ही जात मे शादी का क्या महत्व है - जडेजा का उदाहरण

#‎जाति‬ नहीं ‪#‎जात‬
क्योंकि जाति Caste का अनुवाद है जो लैटिन शब्द है । Castas से उत्पत्ति हुई इसकी ।#जाति का अर्थ अमरकोश के अनुसार - सुमन मालती (दो पुष्पों के नाम) और सामान्य जन्म भर है । क्या इससे caste system की व्याख्या होती है ?
न्यूजीलैंड और अन्य कई देशो में Half Caste , Quarter Caste जैसे शब्दों का प्रयोग होता है ।
उसका क्या मतलब है ?
कोई बताये ?
संविधान का गठन 1900 के बाद शुरु हो गया था ।1900 के बाद भारत में जितने भी कमीशन आये वे स्वशासन हेतु संविधान निर्माण हेतु आये , साइमन कमीशन से लेकर चेम्फोर्ड मोंटगु सबके सब ।
1935 इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट आया जिसमे सचेडुलेड caste की मान्यता दी । 1950 में बने संविधान में वो सब शामिल है जो अंग्रेजों ने हिन्दू और हिंदुस्तान को बांटने की शाजिस रची । हिंदुस्तान का तात्पर्य हिन्दू मुस्लिम ईसाई यहूदी पारसी सब से है ।
क्योंकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से ही अंग्रेजों की ‪#‎फटेली‬ थी ।
क्योकि 1857 में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने अंग्रेजों के विरुद्ध कदम से कदम मिलाकर लड़ाई की ।मंगल पाण्डेय झाँसी की रानी , तात्या टोपे सबने बहादुर शाह जफर को देश का नेता माना
फर्क सिर्फ इतना था कि हिन्दू लड़ा ‪#‎देश‬ की खातिर , और मुसलमान लड़ा ‪#‎दीन‬ की खातिर ।
‪#‎वीर_सावरकर‬ जैसे कम्युनल नेता ने लिखा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में और उसके बाद हिन्दू और मुसलमान को कंधे से कन्धा मिलाकर अत्याचारी ईसाईयों से लड़ना होगा ।
लेकिन चूंकि ये सिद्ध हो चूका है कि ‪#‎ईसाई‬ ‪#‎कसाइयो‬ से 668 वर्ष सीनियर है , तो वो उसका कमीनेपन की सीमा भी 600 वर्ष ज्यादा mature है ।वरना अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और न जाने कितने जगहों के मूल निवासियों का कत्ल कर उस पर कब्जा न कर पाता।
खैर जाने दें ये कथा फिर कभी ।
मूल बात ये है कि #जात यानि वंशवृक्ष के बरगद में अलग अलग गोत्र में शादी करने की हमारी परंपरा रही है ।
गोत्र यानि school of thought ।
अलग ऋषि के स्कूल में अलग अलग विद्याओं की शिक्षा दीक्षा दी जाती थी ।
इस लिए ज्ञान परंपरा के विस्तार हेतु ‪#‎सगोत्रीय‬ शादिया वर्जित है ।
और जात यानि कुल -खानदान- वंश , पति पत्नी के आपसी मनमुटाव और टकराहट में एक दूसरे से अलग होने (‪#‎तलाक‬) में एक cushion यानि shock absorver का काम करता है ।
आज भारत विश्व में दुबारा एक आर्थिक शक्ति बन कर उठ रहा है तो उसका कारण न सोनिया मनमोहन हैं और न ही मोदी ।
बल्कि भारत का पारिवारिक संस्कार और समाज ।
और खासतौर पर घरेलू महिलायें , जो - खुद "‪#‎कणम‬ त्यागे कुतो धनम्", का व्यवहारिक प्रयोग करती है और पैसे बचाकर, बैंकों में जमा करके, देश की जीडीपी का मुख्य हिस्सा बनती हैं ; और अपने बच्चे को "‪#‎क्षणम‬ त्यागे कुतो विद्या " का ज्ञान देती हैं ।
आज पश्चिम में 51 % सिंगल पैरेंट फॅमिली हैं । यानि 51% बच्चे अपनी माताओं के साथ रहते हैं , उनके बाप कौन है शायद वो माएं भी नहीं जानती ।
तलाक का प्रतिशत शत प्रतिशत है । इस्सलिये वे शादी की वर्ष गाँठ मनाते हैं कि चलो एक साल और चल गयी शादी।( लेकिन हम चूतिये कॉपी कैट पेन ड्राइव , उसी को मॉडर्न होना कहते हैं । यहाँ तो 7 जनम तक की बुकिंग है शादी के उपरांत )
इसीलिये जात में शादी परिवार में पति पत्नी में होने वाली टकराहट से परिवार के खण्डित होने से बचाने में एक cushion या shock absorver का काम करती है ।

 http://hindi.revoltpress.com/breaking-news/its-my-dream-to-marriage-in-own-cast-says-ravindra-jadeja/

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