जाटों को आरक्षण चाहिए - भाग 3
जात कोई जाती नहीं एक समुदाय है जिसमे कई जातियाँ शामिल है / जाति का तात्पर्य होता है एक वंशवृक्ष जिसका समवंध किसी खास वृत्ति से जुड़ा हो , किसी धार्मिक राजा या धार्मिक स्थल से समवंध हो , या फिर किसी भौगोलिक क्षेत्र से समवंध हो , जैसे कन्नौजिया , बनारसी या औधिया अर्थात कन्नौज , बनारस या अवध से संबन्धित परिवार / दूसरी जो सबसे बड़ी चीज है वो है - Indogamy अर्थात किसी खास वंसज मे ही शादी विवाह होता हो , उदाहरण स्वरूप हमारे यहाँ जौनपुर के क्षत्रिय परिवार की कन्याओ की शादी ज़्यादातर प्रतापगढ मे होती है / और बनारस वाले अपनी कन्याओं की शादी जौनपुर मे करते हैं / अर्थात क्षत्रिय ब्रामहन और वैश्य मे ही कई जातियाँ होती है /
लेकिन जब वर्ण व्यवस्था को त्यागकर अंग्रेजों ने आधुनिक जाति व्यवस्था की नीव1901 मे #रिसले के #Unfailing_Law_Of_Caste के अनुसार बनाई जिसमे नाक की चौड़ाई यानी Nasal Base Index के आधार पर हिन्दू समाज का वर्गी कारण किया तो जो पहले वर्ण थे वे भी जाति मे गिने जाने लगे /
अब जब क्लास 10 शिक्षित #Maxmuller जिसको प्रदोष आइच - एक swindler यानी धोखेबाज सिद्ध किया है ,ने हल्ला मचाया कि आर्य बाहर से आए थे - अर्थात ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य / इस बात का खंडन #डॉ_अंबेडकर ने खुद 1946 मे किया था , तो संविधान मे किस तरह से इस फर्जी थेओरी को संविधान मे जगह मिला ? जो ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य वर्ण थे , आज उनकी पहचान जाति के रूप मे होती है / और शूद्रकर्म करने वाले लोग जो 2000 साल से 1750 तक विश्व की 25% जीडीपी का निर्माता था , उसकी वंशजों को #Depressed और #oppressed क्लास्द बोलकर संविधान मे हजारों जातियों के रूप मे चिन्हित किया जाता है , तो ये मान लेने मे क्या हर्ज है कि भारत कहने को तो सार्वभौमिक देश है , लेकिन पोप की सत्ता अभी भी कायम है / फिर उसके बाद काले अंग्रेजों ने 1989 मे #मण्डल_कमिशन लागू किया जिसमे ओबीसी की पहचान करने हेतु चुने गये 3 criteria मे एक criteria थी - शैक्षिक बैक्ग्राउण्ड / मण्डल जी ने ओबीसी की पहचान के लिए 1931 की जनसंख्या का डाटा लिया / और अंत मे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि #सवर्ण और SC और ST को छोडकर सब ओबीसी है /
अब दो महत्वपूर्ण प्रश्न - कोई विद्वान ये बताए कि मण्डल जी ने 1931 के जनसंख्या से लोगों का शैक्षिक डाटा कैसे प्राप्त किया ?
- दूसरी बात , भारत के संविधान के अनुसार PMO India Rajnath Singh जी आप बताए कि 1989 मे #सवर्ण को कैसे परिभासित करेंगे ?
जात कोई जाती नहीं एक समुदाय है जिसमे कई जातियाँ शामिल है / जाति का तात्पर्य होता है एक वंशवृक्ष जिसका समवंध किसी खास वृत्ति से जुड़ा हो , किसी धार्मिक राजा या धार्मिक स्थल से समवंध हो , या फिर किसी भौगोलिक क्षेत्र से समवंध हो , जैसे कन्नौजिया , बनारसी या औधिया अर्थात कन्नौज , बनारस या अवध से संबन्धित परिवार / दूसरी जो सबसे बड़ी चीज है वो है - Indogamy अर्थात किसी खास वंसज मे ही शादी विवाह होता हो , उदाहरण स्वरूप हमारे यहाँ जौनपुर के क्षत्रिय परिवार की कन्याओ की शादी ज़्यादातर प्रतापगढ मे होती है / और बनारस वाले अपनी कन्याओं की शादी जौनपुर मे करते हैं / अर्थात क्षत्रिय ब्रामहन और वैश्य मे ही कई जातियाँ होती है /
लेकिन जब वर्ण व्यवस्था को त्यागकर अंग्रेजों ने आधुनिक जाति व्यवस्था की नीव1901 मे #रिसले के #Unfailing_Law_Of_Caste के अनुसार बनाई जिसमे नाक की चौड़ाई यानी Nasal Base Index के आधार पर हिन्दू समाज का वर्गी कारण किया तो जो पहले वर्ण थे वे भी जाति मे गिने जाने लगे /
अब जब क्लास 10 शिक्षित #Maxmuller जिसको प्रदोष आइच - एक swindler यानी धोखेबाज सिद्ध किया है ,ने हल्ला मचाया कि आर्य बाहर से आए थे - अर्थात ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य / इस बात का खंडन #डॉ_अंबेडकर ने खुद 1946 मे किया था , तो संविधान मे किस तरह से इस फर्जी थेओरी को संविधान मे जगह मिला ? जो ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य वर्ण थे , आज उनकी पहचान जाति के रूप मे होती है / और शूद्रकर्म करने वाले लोग जो 2000 साल से 1750 तक विश्व की 25% जीडीपी का निर्माता था , उसकी वंशजों को #Depressed और #oppressed क्लास्द बोलकर संविधान मे हजारों जातियों के रूप मे चिन्हित किया जाता है , तो ये मान लेने मे क्या हर्ज है कि भारत कहने को तो सार्वभौमिक देश है , लेकिन पोप की सत्ता अभी भी कायम है / फिर उसके बाद काले अंग्रेजों ने 1989 मे #मण्डल_कमिशन लागू किया जिसमे ओबीसी की पहचान करने हेतु चुने गये 3 criteria मे एक criteria थी - शैक्षिक बैक्ग्राउण्ड / मण्डल जी ने ओबीसी की पहचान के लिए 1931 की जनसंख्या का डाटा लिया / और अंत मे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि #सवर्ण और SC और ST को छोडकर सब ओबीसी है /
अब दो महत्वपूर्ण प्रश्न - कोई विद्वान ये बताए कि मण्डल जी ने 1931 के जनसंख्या से लोगों का शैक्षिक डाटा कैसे प्राप्त किया ?
- दूसरी बात , भारत के संविधान के अनुसार PMO India Rajnath Singh जी आप बताए कि 1989 मे #सवर्ण को कैसे परिभासित करेंगे ?
बाकी रही जाटों के आरक्षण की - तो जाट के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह थे ,
राजा सुरजमल थे - यानि ये करमानुसार क्षत्रिय वर्ग के थे , अब ये उनकी
मर्जी है कि वे राजनीतिक शाजिश के शिकार होकर कटोरा लेकर हत्या और हिसा पर
उतारू है /
ध्यान रहे कि यदि ये सब न होता तो MSM और सोशल मीडिया #सुभास_चन्द्र_बॉस की फ़ाइल खंगाल रहे होते /
और सोनिया और पप्पू को #नेशनल_हराल्ड केस मे कोर्ट के व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने के निर्णय पर हंगामा हो रहा होता /
तीसरी बात पिछले सरकार के कार्यकाल मे NGO के जरिये 100 हजार करोड़ रुपया ईसाई चर्चों से आया है - अगर उसमे से 100 करोड़ खर्च कर दिया जाय तो अकल के पैदल और दिल की बात सुनने वाले जाटों को #जातीय_युद्ध का मोहरा तो बनाया ही जा सकता है /
सरकार की नाकामी है कि उसके गुप्तचर इतने बड़े हादसे को सूंघ भी न पाये ?
या फिर सरकार का ही कोई धड़ा इसमे शामिल है ?
ध्यान रहे कि यदि ये सब न होता तो MSM और सोशल मीडिया #सुभास_चन्द्र_बॉस की फ़ाइल खंगाल रहे होते /
और सोनिया और पप्पू को #नेशनल_हराल्ड केस मे कोर्ट के व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने के निर्णय पर हंगामा हो रहा होता /
तीसरी बात पिछले सरकार के कार्यकाल मे NGO के जरिये 100 हजार करोड़ रुपया ईसाई चर्चों से आया है - अगर उसमे से 100 करोड़ खर्च कर दिया जाय तो अकल के पैदल और दिल की बात सुनने वाले जाटों को #जातीय_युद्ध का मोहरा तो बनाया ही जा सकता है /
सरकार की नाकामी है कि उसके गुप्तचर इतने बड़े हादसे को सूंघ भी न पाये ?
या फिर सरकार का ही कोई धड़ा इसमे शामिल है ?
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