Saturday, 27 February 2016

भारत का विशालतम ‪#‎फर्जीवाड़ा‬ : #मण्डल_कमिशन

#‎मण्डल_कमिशन‬ की रिपोर्ट पढ़ रहा हूँ /
200 % फर्जीवाड़ा है ये दस्तावेज़ / दिल्ली के aircondition कमरे मे बैठकर तैयार की गई /
पता नहीं क्यों किसी ने आज तक इसको ध्यान से क्यों नहीं पढ़ा ?
परिणाम पहले से रेडीमेड था , बाकी डाटा की खाना पूर्ति बाद मे की गई है /
मसलन डाटा मांगा गया sample Survey का 1% / लेकिन समय कम होने का हवाला देते हुये हर जिले के मात्र 2 गाव और एक कस्बे की संपलिंग हुयी / एक जिले के मात्र 2 गाव का सर्वे पर्याप्त है ? और वो भी कुल अवधि सर्वे के टीम के गठन से उसके रिज़ल्ट के दाखिले की मात्र 5 महीने / 24 सेप्टेम्बर 1979 मे पहली बैठक लखनऊ मे होती है और 6 मार्च 1980 तक सर्वे के देश भर से आंकड़े तैयार , जिसमे राज्य , के सांख्यकी ऑफिसर से जिले के ऑफिसर और फिर गाव मे सर्वे करने वाले की ट्रेनिंग का समय भी इसी काल अवधि के बीच है /
क्या मज़ाक है ?
मसलन रिपोर्ट मे लिखा है कि ब्रिटिश भारत मे जाति के आधार पर जनगणना 1881 से 1931 तक हुयी /
जबकि जातिगत जनगणना पहली बार 1901 मे हुयी / H H Risley ने एंथ्रोपोलोजी और nasal base Index को आधार बनाकर सोशल Hierarchy तय की गई /
मसलन 3 ऊचे वर्ण , 3 dominant Castes हैं ।
वर्ण और जाति एक ही चीज है ?
caste पुर्तगाली शब्द Castas से उद्धृत है इसकी बाकायदा परिभासित किया गया है Imperial Guzzetear Of India मे / जबकि संस्कृत ग्रन्थों के अनुसार ‪#‎जाति‬ का अर्थ सुमन और मालती नामक दो पुष्प और सामान्य जन्म भर है इसको कैसे forward और backward को परिभासित कर पाएंगे ?
और वही रिसले People Of India मे लिखता है कि आर्य (ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य ) जो गोरे रंग के थे आए और यहाँ के Aborigines की स्त्रियॉं को रखैल बनाया या शादी की जिससे जातियों का जन्म हुआ ? ये गाली बर्दाश्त करने लायक है ?
जबकि ‪#‎वर्ण‬ का अर्थ है सामाजिक कार्यों का वर्गीकरण और वो भी स्वधर्मों यानि अपने प्रवृत्ति के अनुसार वृत्ति का चुनाव क्योंकि जब वो कौटिल्य लिखते हैं कि यदि एक माँ के चार पुत्र हो और उनमे से एक ब्रामहन वृत्ति चुने , एक क्षत्रिय वृत्ति चुने एक वैश्यवृत्ति चुने और एक शूद्र वृत्ति तो संपत्ति के बँटवारे के समय ब्रामहन को बकरी क्षत्रिय को अश्व वैश्य को गाय और शूद्र को भेंड दिया जाना चाहिए / ये कौटिल्य का GO है /
इसीलिए कह रहा हू कि ‪#‎फर्जी_Aryan_Invasion_theory‬ हमारे संविधान का हिस्सा बन चुका है / ये शाजिस गोरे अंग्रेजों ने रचा और काले गुलाम अंग्रेज़ उसको आज भी ढो रहे है /
भारत का विशालतम ‪#‎फर्जीवाड़ा

Wednesday, 24 February 2016

जाटों को आरक्षण चाहिए ? भाग _4

जाटों को आरक्षण चाहिए ? भाग _4
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Truthseekers Intl
www.truthseekersinternational.org/
Jesus' Kingdom through caste reconciliation
Truthseekers is committed to the belief that the Gospel of Jesus will destroy one of the most grievous violations of human rights still in existence - the caste system. The caste system is a hierarchy of slavery defined and justified by the religion known to the world as Hinduism. These castes live in perpetual conflict, and this conflict sharpens the lines of division between castes.
The Gospel of Jesus is centered in love and forgiveness - the key components of reconciliation. We live out this ministry of reconciliation through breaking caste barriers by eating food, drinking chai, and washing feet to mend broken dignity and restore the image of God in every human being.
India's history is filled with people seeking Truth and rebelling against caste hierarchy. Although these historical Truthseekers pointed towards Jesus, few have taken the next step to fully embrace Him. We join them on their paths to bring India to the next step of a Truthseeker's journey: the Kingdom of Jesus.
अभी इसका नजारा आपने हरियाणा मे देखा / मोटी बुद्धि के जांटों का प्रयोग किया गया अपने ही भाइयों की हत्या करने और लूट के लिये / हजारों करोड़ की संपत्ति स्वाहा हो गई /
ये घटनाए और आगे भी होंगी / इसलिए आपको जरा सावधानी से इन संस्थानों पर निगाह रखे /
ये प्रत्यक्ष रूप से आगे नहीं आएंगे / सिर्फ पैसे के दम पर कुछ छुटभैयों या नेताओं को खरीदेंगे, और उनको संवेदनशील मुद्दे पर गुप- चुप रूप से कुछ समुदाय वेशेष के लोगों को भडकाएंगे /
इसी का नजारा आपने हरियाणा मे देखा / मेरे पास प्रमाण नहीं है क्योंकि मेरे पास कोई जांच agency भी नही है / लेकिन सरकार के पास है / और वो प्रमाण जूता सकती है /
सबसे खतरनाक बात ये है कि ये शाजिश अब उस समुदाय को भड़काने के लिए की जा रही है जो आर्थिक रूप से सक्षम है, शारीरिक और बौद्धिक रूप से स्वस्थ है , और ‪#‎भारतीय_सेना‬ का अभिन्न अंग हैं, जिससे सेना मे अविश्वास पैदा किया जा सके /
याद है न भिंडरवाले के बाद सिखों का सेना से विद्रोह ?
ये उससे बड़ी शजिश है - ‪#‎ब्रेकिंग_इंडिया_फोर्सेस‬ का / ज्ञातव्य हो कि सोनिया गांधी के NAC के देख रेख मे मनमोहन सरकार के 10 साल मे 100 हजार क्रोन रूपये विदेश से चर्चों के माध्यम से भारत मे आया है / कुछ हजार करोड़ काफी हैं इस तरह की घटनाओ को अंजाम देने के लिए /

Monday, 22 February 2016

जाटों को आरक्षण चाहिए - भाग 3

जाटों को आरक्षण चाहिए - भाग 3
जात कोई जाती नहीं एक समुदाय है जिसमे कई जातियाँ शामिल है / जाति का तात्पर्य होता है एक वंशवृक्ष जिसका समवंध किसी खास वृत्ति से जुड़ा हो , किसी धार्मिक राजा या धार्मिक स्थल से समवंध हो , या फिर किसी भौगोलिक क्षेत्र से समवंध हो , जैसे कन्नौजिया , बनारसी या औधिया अर्थात कन्नौज , बनारस या अवध से संबन्धित परिवार / दूसरी जो सबसे बड़ी चीज है वो है - Indogamy अर्थात किसी खास वंसज मे ही शादी विवाह होता हो , उदाहरण स्वरूप हमारे यहाँ जौनपुर के क्षत्रिय परिवार की कन्याओ की शादी ज़्यादातर प्रतापगढ मे होती है / और बनारस वाले अपनी कन्याओं की शादी जौनपुर मे करते हैं / अर्थात क्षत्रिय ब्रामहन और वैश्य मे ही कई जातियाँ होती है /
लेकिन जब वर्ण व्यवस्था को त्यागकर अंग्रेजों ने आधुनिक जाति व्यवस्था की नीव1901 मे ‪#‎रिसले‬ के ‪#‎Unfailing_Law_Of_Caste‬ के अनुसार बनाई जिसमे नाक की चौड़ाई यानी Nasal Base Index के आधार पर हिन्दू समाज का वर्गी कारण किया तो जो पहले वर्ण थे वे भी जाति मे गिने जाने लगे /
अब जब क्लास 10 शिक्षित ‪#‎Maxmuller‬ जिसको प्रदोष आइच - एक swindler यानी धोखेबाज सिद्ध किया है ,ने हल्ला मचाया कि आर्य बाहर से आए थे - अर्थात ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य / इस बात का खंडन ‪#‎डॉ_अंबेडकर‬ ने खुद 1946 मे किया था , तो संविधान मे किस तरह से इस फर्जी थेओरी को संविधान मे जगह मिला ? जो ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य वर्ण थे , आज उनकी पहचान जाति के रूप मे होती है / और शूद्रकर्म करने वाले लोग जो 2000 साल से 1750 तक विश्व की 25% जीडीपी का निर्माता था , उसकी वंशजों को ‪#‎Depressed‬ और ‪#‎oppressed‬ क्लास्द बोलकर संविधान मे हजारों जातियों के रूप मे चिन्हित किया जाता है , तो ये मान लेने मे क्या हर्ज है कि भारत कहने को तो सार्वभौमिक देश है , लेकिन पोप की सत्ता अभी भी कायम है / फिर उसके बाद काले अंग्रेजों ने 1989 मे ‪#‎मण्डल_कमिशन‬ लागू किया जिसमे ओबीसी की पहचान करने हेतु चुने गये 3 criteria मे एक criteria थी - शैक्षिक बैक्ग्राउण्ड / मण्डल जी ने ओबीसी की पहचान के लिए 1931 की जनसंख्या का डाटा लिया / और अंत मे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ‪#‎सवर्ण‬ और SC और ST को छोडकर सब ओबीसी है /
अब दो महत्वपूर्ण प्रश्न - कोई विद्वान ये बताए कि मण्डल जी ने 1931 के जनसंख्या से लोगों का शैक्षिक डाटा कैसे प्राप्त किया ?
- दूसरी बात , भारत के संविधान के अनुसार PMO India Rajnath Singh जी आप बताए कि 1989 मे #सवर्ण को कैसे परिभासित करेंगे ?

बाकी रही जाटों के आरक्षण की - तो जाट के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह थे , राजा सुरजमल थे - यानि ये करमानुसार क्षत्रिय वर्ग के थे , अब ये उनकी मर्जी है कि वे राजनीतिक शाजिश के शिकार होकर कटोरा लेकर हत्या और हिसा पर उतारू है /
ध्यान रहे कि यदि ये सब न होता तो MSM और सोशल मीडिया ‪#‎सुभास_चन्द्र_बॉस‬ की फ़ाइल खंगाल रहे होते /
और सोनिया और पप्पू को ‪#‎नेशनल_हराल्ड‬ केस मे कोर्ट के व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने के निर्णय पर हंगामा हो रहा होता /
तीसरी बात पिछले सरकार के कार्यकाल मे NGO के जरिये 100 हजार करोड़ रुपया ईसाई चर्चों से आया है - अगर उसमे से 100 करोड़ खर्च कर दिया जाय तो अकल के पैदल और दिल की बात सुनने वाले जाटों को ‪#‎जातीय_युद्ध‬ का मोहरा तो बनाया ही जा सकता है /
सरकार की नाकामी है कि उसके गुप्तचर इतने बड़े हादसे को सूंघ भी न पाये ?
या फिर सरकार का ही कोई धड़ा इसमे शामिल है ?

Sunday, 21 February 2016

जाटों को आरक्षण चाहिए ? - भाग -2

जाटों को आरक्षण चाहिए ?
आज सुबह की खबर है कि सरकार केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का DA बढ़ा सकती है , जिनकी संख्या 55 लाख है / इसी तरह प्रदेश कर्मचारियों की संख्या कितनी होगी ?
कुल सरकारी कर्मचारियों की संख्या भारत की कुल जनसंख्या की मात्र 1 से 1.5 % है /
कल शाम की ज़ी न्यूज़ की खबर के अनुसार हरियाणा सरकार ने इस बात की घोषणा की है कि सरकार उनकी मांग के समर्थन मे है और इस पर विचार कर रही है / ज्ञातव्य हो कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जाटों को आरक्षण दिया था जिसको हरियाणा high court ने रद्द कर दिया था /
ये बात समझना पड़ेगा कि ऐसी क्या emergency आ गई कि जाट संवैधानिक प्रक्रिया का इंतजार नहीं कर सकते ?
कल Manmohan Sharma सर ने बताया कि - जाट और पिछड़ी जातियों के बीच लड़ाई शुरू हो गई है /
विशेष बामल जी ने बताया कि ‪#‎वाल्मीकि‬ समुदाय के लोग आकर जाटों पर गोली चलाकर निकाल गए ?
इसके निहितार्थ समझे : वाल्मीकि समुदाय को , जो पहले से ही SC के तहत आरक्षण का लाभ ले रही है , उसको इस आंदोलन की आग मे घी डालने से क्या मिलेगा ?
जाटों को ओबीसी लोगों को पीड़ित और प्रताड़ित करने से क्या आरक्षण मिल जाएगा ?
नहीं न /
तो फिर क्यों हो रहा है ऐसा ?
एक सबसे बड़ा खलनायक ईसाई है ‪#‎Sunil_सरदार‬ , जो खुद तो गोरी मेम से शादी करके अम्रीका मे रहता है / 2 वर्ष पूर्व उसने अपनी फेस्बूक वाल पर एक फोटो डाली थी , जिसमे वो ‪#‎सोनिया‬ मदाम का बर्थड़े तत्कालीन प्रधानमंती के साथ एक होटल के एक सुइट मे मना रहा था /
अब इन सूचनाओं को एकत्रित करके सोचिए कि क्या कहानी बनती है ?
‪#‎सुभास_चन्द्र_बॉस‬ की फ़ाइल - आप न खंगाले / कल मैडम और उनके सुपुत्र की ‪#‎नेशनल_हराल्ड‬ का फर्जीवाड़ा की कोर्ट मे पेशी थी , जहां उनको व्यक्तिगत उपस्थिती से कोर्ट ने मुक्ति दे दी / आपको पता भी नहीं चला /
अब वे ‪#‎ईसाई‬, जो महिशासुर को यादवों का पूर्वज घोसित कर चुके हैं , और दुर्गा जी को एक वेश्या और जिस पर बिहार के बड़े नेता Premkumar Mani जैसे लोगों की सहमति भी है , वे भारत मे ‪#‎जाति_युद्ध‬ करवाने की तैयारी मे हैं , जिसमे मैडम और ‪#‎क्लास_युद्ध‬ के सिपाही ‪#‎वाम_बुद्धिपिशाच‬ उनके साथ खड़े है /
पिछली सरकार मे सोनिया के NAC के नेतृत्व मे 10 वर्ष मे ईसाई चर्चों के जरिये न जाने कितने NGOs को 100 हजार करोड़ रुपये आए हैं / उसी मे से कुछ पैसा , और कुछ पैसा पिछले 10 साल मे सरकारी खजाने से लूटे माल से, निकाल कर 100 - 200 छुटभैयों को दे दिया / मान लीजिये 100 करोड़ भी खर्च कर दिया तो जाट जैसे लोग जो दिल से ज्यादा काम लेते हैं , और दिमाग तो फ्रिज मे जमा के रखते है, उनको एक अनियंत्रित पशुवत भीड़ बनाने मे कितना समय लगेगा ? मार्शल कौम है न /
इसीलिए क्रमवार तरीके से देखे - जहां 2 वर्ष पूर्व MSM और सोश्ल मीडिया लाखों करोनो के scam पर बात करती थी, वो पिछले एक वर्ष से ‪#‎एखलाक_सिंड्रोम‬ , ‪#‎वे_मुल्ला‬ , ‪#‎कन्हैया‬ और अब ‪#‎जाट_आरक्षण‬ से माथा फोड़ रही है /
जय हो , जयहिंद की सेना /

Saturday, 20 February 2016

जाटों को आरक्षण चाहिए ? भाग -1

जाटों को आरक्षण चाहिए ?
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जिनके पूर्वज महाराणा रणजीत सिंह रहे हों , जिनहोने मुग़लो के छकके छुड़ा दिये थे / या जिनके पूर्वज महारणा भीम सिंह राणा और छतर सिंह राणा रहे हो , जिनहोने ‪#‎ग्वालियर‬ के किले पर 1740 से 1767 तक निष्कंटक राज किया हो , या फिर महारणा या फिर भरतपुर के राजा सूरजमल रहे हों जिनहोने 1761 मे आगरे का किला मुग़लों के हाथ से छें लिया था , जो आज तक अपनी आन बान और शान के लिए मशहूर रहे हों , उनकी वंशजे इतनी निकम्मी हो जाएंगी कि सरकारी भीख की गुजारिश करेंगी ?
आप जानते ही हैं कि संविधान मे शजीसन किस तरह ‪#‎नाक‬ के आधार पर जातियों को घुसेड़ा गया है / ऊंची नाक वाले अलग और नीची नाक वाले अलग , एक ‪#‎रिशले_स्मृति‬ की देन है/
मात्र 115 साल पूर्व वर्ण , जो कि श्रम-विभाजन का आधार था , उसको खत्म कर गोरे अंग्रेजों ने भारतीय समाज को जातियों मे विखंडित किया , और वर्ण के ब्रामहन क्षत्रिय वैश्य को आज जाति बनाकर पेश किया और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ - ‪#‎शूद्रकर्म‬ पर आधारित व्यवसाय नष्ट किया तो उनके वंशजों को SC बनाकर 1936 मे संविधान का हिससा बना दिया / बाद मे काले अंग्रेजों ने उन्हीं की नकल कर एक ओबीसी वर्ग अलग चिन्हित किया / कितने प्रतिशत लोग नौकरी कर रहे हैं सरकार मे ? शायद भारत की कुल जनसंख्या का मात्र 1% /
उसमे घुसने के लिए मरे जा रहे हो ? अपनी मेधा और भुजाओं मे दम नहीं बचा क्या ?
‪#‎नोट‬: और एक बात और मैंने कल भी एक पोस्ट लगाया था कि देश का ध्यान बनाते के लिए कहीं इसके पीछे ‪#‎इशाई_मिशनरियों‬ और ‪#‎सोनिया‬ के चमचों, और ‪#‎वाम_बुद्दिपिशाचों‬ का हांथ तो नहीं ? क्योंकि देश का ध्यान बंटाने हेतु पिछले 10 वर्षों मे लूटे हुये खजाने मे से कुछ खर्च भी हो जाय तो चिंता नकको ? और जाट तो वैसे भी मार्शल रेस है राजपूतों की तरह : यानि बुद्धि घुटने मे , और हाथ मे लट्ठ /
अभी आपको पता ही है कि ‪#‎सुभास_चन्द्र_बोस‬ की फाइलों से आपका ध्यान हटाना आवश्यक है / और यकीन मानिए ‪#‎यंग_इंडिया‬ और नेशनल हराल्ड के केस मे ‪#‎माँ_बेटे‬ को तिहाड़ जाना ही पड़ेगा /
इसलिए मीडिया और सोसल मीडिया को नया नया मसाला परोसते रहिए - कभी ‪#‎एखलाक_सिंड्रोम‬ कभी ‪#‎वे_मुल्ला‬ , कभी ‪#‎कन्हैया‬ और अब ये जाट /

Friday, 19 February 2016

‪#‎JNU‬ और ‪#‎रोहित_वेमुल्ला‬ के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है :नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों का

नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों मे लिखा क्या है ? ‪#‎JNU‬ और ‪#‎रोहित_वेमुल्ला‬ के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है /
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भारत को लूट का अड्डा समझकर पिछले 68 वर्षों मे नेहरू परिवार ने जो करिश्मा कर दिखाया है , और मीडिया उसकी किस तरह अनुचर रही है , ये किसी से छुपा नहीं है /
कहानी शुरू होती है पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से / नेहरू अपनी आत्मकथा मे लिखते हैं कि उनके दादा ‪#‎गंगाधर_नेहरू‬ 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के समय दिल्ली यानि ‪#‎मुग़ल‬ बहादुरशाह जफर के कोतवाल थे , जिन्की वेश भूषा मुग़लों जैसी थी और उनके दोनों हांथों मे तलवार थी / कोई रेकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करने के लिए उपलब्ध नहीं है सिवा नेहरू के मुखश्री से निकले वचनों को छोडकर / एक वर्ष पूर्व तक गूगल पर गंगाधर की वो तस्वीर भी थी , लेकिन शायद अब वो भी वहाँ से गायब है /
बाबर के समयकाल से बहादुर शाह जफर तक के जमाने तक मोघल राजधानी का कोतवाल मात्र ‪#‎अशरफ‬ मुसलमान होता आया है , यहाँ तक कि अरजाल और अजलफ मुसलमान भी नहीं / तो फिर एक हिन्दू , और वो भी एक पंडित किस तरह दिल्ली का कोतवाल हो सकता है, ये विचारणीय प्रश्न है /
अब जब ये पूरी तरह स्पस्त हो चुका है कि नेहरू ने जिस हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने से नेताजी की मौत होने का दावा किया था , वो उड़ा ही नहीं , तो फिर नेताजी की मौत कैसे हुयी , इसका रहस्य भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए फाइलों मे ही छुपी होगी /
अब थोड़ा इतिहास को और खंगालें - गांधी की मौत के लिए जिम्मेदार गोंडसे के साथ एक और व्यक्ति भी था - मदनलाल पाहवा / पाहवा को ब्रिटिश पुलिस गांधी के हत्या के कुछ माह पूर्व गिरफ्तार करती है गांधी की हत्या की शजिश रचने के खडयंत्र मे, लेकिन एड्मिरल माउंटबेटेन ने एक माह पूर्व उसको छोडने का आदेश दिया / क्यों ? माउंटबेटेन और नेहरू का समवंध जगजाहिर है /
पंडित ? नेहरू को भारत पर अबाध रूप के कई पीढ़ियों तक शासन करने और लूटने के लिए अपने सामने अपने विरोधियों को चुनचुन कर हटाना था /
गांधी ने भारत मे एक मजबूत विपक्ष देने के लिए राष्ट्रपति बनने वाले पद के लिए जे बी कृपलानी के नाम का अनुमोदन किया लेकिन नेहरू ने चालाकी से उस प्रस्ताव को खारिज कर सहज प्रवृत्ति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उस पद के लिए चुना /
गांधी की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी - उनका लास्ट टेस्टमेंट जो मृत्यु के मात्र कुछ दिन पूर्व ही उन्होने लिखा था जिसमे - काँग्रेस को भंग करने की शिफारिश की थी / जब कोंग्रीस ही न बचती तो नेहरू किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी राज करते ?
इसलिए गांधी को रास्ते से हटाना जरूरी था / इसीलिए मदन लाल पाहवा को जेल से छोड़ा गया / गांधी की हत्या गोंडासे की गोली से हुयी तो उसने तो तीन ही गोली चलायी थी ? फिर चौथी गोली जो विदेशी रिवॉल्वर से चली थी , उसको किसने चलाया था ? Dr.Subramanian swamy ने ये प्रश्न कुछ दिन पूर्व उठाया था /
अब एक और कद्दावर नेता था - ‪#‎वीर_सावरकर‬ , जिसने 1857 की गदर को भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया था , और जिसने अपनी पुस्तक - 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम , जिसको अंग्रेजों ने ban कर रखा था , उसमे साफ साफ लिखा है कि - शिवाजी के जमाने मे मुग़लों का विरोध ठीक था , लेकिन अब सामने जब दुश्मन गोरा अंग्रेज़ है तो हिन्दू और मुसलमान दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना चाहिए / उस नेता को गांधी की हत्या मे फंसाकर नेहरू ने अपने पिछलग्गू ‪#‎मरकसिए_इतिहासकारों‬ से ‪#‎सांप्रदायिक‬ घोसित करवाया /
अब असली बाधा नेहरू के सामने थे - नेताजी सुभाषचंद्र बोस , जो हर भारतीय के खून मे जोश भरते थे /
उनको मृत घोसित करने के लिए स्टालिन के साथ शजिश रची / अब जब वो दस्तावेज़ बाहर आ गये हैं जो नेहरू और काँग्रेस की जड़ खोद कर उनको दो गज जमीन के नीचे दफना सकते हैं , तो ‪#‎एखलाक‬ , #रोहित_वेमुल्ला , और अब ये नया नाटक ‪#‎अशरफ_गुरु‬ का नाटक खेला जा रहा है , जिसमे काँग्रेस पोषित मीडिया हाउस साथ दे रही है / लेकिन सोश्ल मीडिया भी उन दस्तावेजों को खँगालने के बजाय इनके बिछाए जाल मे फंस चुकी है /
ज्ञातव्य हो कि नेहरू परिवार के सिवा जो भी नेता कोङ्गेस्स के शीर्ष पद पर गया , उसकी दुर्दशा करने मे कोंग्रेसियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी /
‪#‎ललबहादुर‬ शास्त्री की ताशकंद ( मरकस का गढ़ ) मे रहस्यमय तरीके से मौत होती है , लेकिन उनका पोस्ट मार्टेम नहीं होता कि किस कारन से मौत हुयी ?
‪#‎सीताराम_केसरी‬ को लात जूतों से मारकर उनको काँग्रेस के दफ्तर से भगाया गया जो वो काँग्रेस के अदध्यक्ष थे /
और आज तक सबसे सफल कोंग्रेसी प्रधानमंत्री ‪#‎नरसिंघराओ‬ को मृतयोपरांत दिल्ली मे अंतिम संस्कार नहीं करने दिया ‪#‎सोनिया‬ और उसके चमचों ने /
तो भाइयों इस नाटक मे न फाँसों नेता जी की फाइलों को खँगालो

Thursday, 18 February 2016

पोप फ्रांसिस अब मेक्सिको की यात्रा करने वाले हैं. वहां के मूल निवासी रेड इंडियंस ने उन्हें संदेश भेजा - मांफी मांगो

ज्ञातव्य हो कि यूरोपीय नीली आँख सफ़ेद चमड़ी और सफ़ेद बाल वाले milatonin हॉर्मोन की कमी वाले ईसाईयों ने वहां के रेड इंडियंस के सोना चांदी के खदानों और भण्डारण पर कब्जा किया और उनका कत्ल किया - जैक गोल्डस्टोन : Rise of Europe 1500 to 1850 .
ईसाईयों ने रिलिजन के नाम पर 1500 से 1800 के बीच 200 मिलियन यानि 20 करोड़ मूलनिवासियों का कत्ल किया - ‪#‎गुरुमूर्ति‬
आज तक इस रहस्य पर पर्दा पड़ा है ।
ज्ञातव्य हो कि 1900 में भारत की कुल जनसँख्या 22 करोड़ थी ।
और 1850 से 1900 के बीच ईश्वरीय आदेश ( Providence) भारत पर शासन करने को White Man's burden समझने वाले शासकों के शासन से 2 करोड़ लोग अन्न के आभाव में मृत्यु को प्राप्त करते हैं क्योंकि उनकी जेब में अन्न खरीदने का पैसा नहीं था जबकि अन्न गुड़ खांण और अन्य भोज्य पदार्थ भारत से यूरोप और इंग्लैंड एक्सपोर्ट होता था ।
ज्ञातव्य हो कि विल दुरांत से लेकर नौरोजी गांधी अमिय बागची पॉल बैरोच और अनगस मैडिसन के अनुसार भारत की 20 % आबादी हेंडीक्राफ्ट पर निर्भर थी जो 0 AD से 1750 तक विश्व जीडीपी का 25% शेयर मन्युफॅक्चर करती थी ।
जिसे कालान्तर में ‪#‎डिप्रेस्ड_क्लास‬ का नाम दिया गया ।
इसी डिप्रेस्ड क्लास को ‪#‎आंबेडकर‬ ने 1928 में Untouchable in ‪#‎Notional‬ sense सिद्ध करने की कोशिश की साइमन कमीशन के सामने ।
और 1931 में lothian समिति को प्रस्ताव भेजा कि जो अछूत चमार नहीं हैं उनको भी अछूत माना जाय ।
गांधी ने 1942 में जब ‪#‎अंग्रेजों_भारत_छोडो‬ का नारा दिया तो आंबेडकर क्या कर रहे थे इसका जबाव न तो गूगल बाबा देते हैं और न ही ‪#‎दिव्यांग_चिंतक‬

1946 में कक्षा 10 पास संस्कृतज्ञ ‪#‎मैक्समूलर‬ , MA शेरिंग और झोला छाप संस्कृतज्ञ जॉन मुइर की ‪#‎ओरिजिनल_संस्कृत_टेक्स्ट‬ और बाइबिल पढ़कर इस निष्कर्ष पर पहंचते है कि ऋग्वेद की पुरुषोक्ति प्रक्षिप्तांश है और ब्राम्हणों की शाजिश है , इस्सलिये आज शूद्रों को निम्न कार्य अलॉट किया गया है पिछले 3000 वर्षों से ।
जबकि विल दुरांत तथ्यों के साथ 1930 में लिखता है कि लोग वर्तक्सशन के कारण जमीन जब्त किये जाने से बेघर होकर शहरों की ओर भागे , और जो उनमे से शौभाग्यशाली थे उनको गोरो का ‪#‎मैला‬ उठाने का कार्य मिला , क्योंकि यदि गुलाम इतने सस्ते हों तो शौचालय बनाने का झंझट कौन पाले ।
लेकिन डॉ आंबेडकर ने भारत के 25% जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को पिछले 68 वर्ष में कुंठा घृणा और आत्महीनता के कुएं में धकेल दिया ।

उनसे किस तरह माफी मांगने की बात बोला जाय ?

 http://sputniknews.com/world/20160209/1034428140/indigenous-seek-apology-from-pope-for-genocide.html

Wednesday, 10 February 2016

मेक्सिको के मूल निवासी रेड इंडियंस ने पोप को माफी मांगने की बोला /

पोप फ्रांसिस अब मेक्सिको की यात्रा करने वाले हैं. वहां के मूल निवासी रेड इंडियंस ने उन्हें #माफी मांगने को बोला/
क्यों ?
क्योंकि पोप के पूर्व पोपों ने 20 करोड़ रेड इंडियंस की हत्या को कभी भी जीसस के प्रेम के संदेश के खिलाफ नहीं माना , और न ही कभी उन हत्यारों को श्रपित किया /
ज्ञातव्य हो कि यूरोपीय नीली आँख सफ़ेद चमड़ी और सफ़ेद बाल वाले milatonin हॉर्मोन की कमी वाले ईसाईयों ने वहां के रेड इंडियंस के सोना चांदी के खदानों और भण्डारण पर कब्जा किया और उनका कत्ल किया - जैक गोल्डस्टोन : Rise of Europe 1500 to 1850 .
ईसाईयों ने रिलिजन के नाम पर 1500 से 1800 के बीच 200 मिलियन यानि 20 करोड़ मूलनिवासियों का कत्ल किया - ‪#‎गुरुमूर्ति‬
आज तक इस रहस्य पर पर्दा पड़ा है ।
ज्ञातव्य हो कि 1900 में भारत की कुल जनसँख्या 22 करोड़ थी ।
और 1850 से 1900 के बीच ईश्वरीय आदेश ( Providence) भारत पर शासन करने को White Man's burden समझने वाले शासकों के शासन से 2 करोड़ लोग अन्न के आभाव में मृत्यु को प्राप्त करते हैं क्योंकि उनकी जेब में अन्न खरीदने का पैसा नहीं था जबकि अन्न गुड़ खांण और अन्य भोज्य पदार्थ भारत से यूरोप और इंग्लैंड एक्सपोर्ट होता था ।
ज्ञातव्य हो कि विल दुरांत से लेकर नौरोजी गांधी अमिय बागची पॉल बैरोच और अनगस मैडिसन के अनुसार भारत की 20 % आबादी हेंडीक्राफ्ट पर निर्भर थी जो 0 AD से 1750 तक विश्व जीडीपी का 25% शेयर मन्युफॅक्चर करती थी ।
जिसे कालान्तर में ‪#‎डिप्रेस्ड_क्लास‬ का नाम दिया गया ।
इसी डिप्रेस्ड क्लास को ‪#‎आंबेडकर‬ ने 1928 में Untouchable in ‪#‎Notional‬ sense सिद्ध करने की कोशिश की साइमन कमीशन के सामने ।
और 1931 में lothian समिति को प्रस्ताव भेजा कि जो अछूत चमार नहीं हैं उनको भी अछूत माना जाय ।
गांधी ने 1942 में जब ‪#‎अंग्रेजों_भारत_छोडो‬ का नारा दिया तो आंबेडकर क्या कर रहे थे इसका जबाव न तो गूगल बाबा देते हैं और न ही ‪#‎दिव्यांग_चिंतक‬

1946 में कक्षा 10 पास संस्कृतज्ञ ‪#‎मैक्समूलर‬ , MA शेरिंग और झोला छाप संस्कृतज्ञ जॉन मुइर की ‪#‎ओरिजिनल_संस्कृत_टेक्स्ट‬ और बाइबिल पढ़कर इस निष्कर्ष पर पहंचते है कि ऋग्वेद की पुरुषोक्ति प्रक्षिप्तांश है और ब्राम्हणों की शाजिश है , इस्सलिये आज शूद्रों को निम्न कार्य अलॉट किया गया है पिछले 3000 वर्षों से ।
जबकि विल दुरांत तथ्यों के साथ 1930 में लिखता है कि लोग वर्तक्सशन के कारण जमीन जब्त किये जाने से बेघर होकर शहरों की ओर भागे , और जो उनमे से शौभाग्यशाली थे उनको गोरो का ‪#‎मैला‬ उठाने का कार्य मिला , क्योंकि यदि गुलाम इतने सस्ते हों तो शौचालय बनाने का झंझट कौन पाले ।
लेकिन डॉ आंबेडकर ने भारत के 25% जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को पिछले 68 वर्ष में कुंठा घृणा और आत्महीनता के कुएं में धकेल दिया ।

उनसे किस तरह माफी मांगने की बात बोला जाय ?

Tuesday, 9 February 2016

इंटेलिजेंट तो बहुत हैं देश मे , इंटेलेक्चुवल कितने हैं ? मनुष्यों का ‪#‎धर्म_गुण‬ के अनुरूप वर्गीकरण

इंटेलिजेंट तो बहुत हैं देश मे , इंटेलेक्चुवल कितने हैं ?
मनुष्यों का ‪#‎धर्म_गुण‬ के अनुरूप वर्गीकरण
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‪#‎S_Gurumurthy‬ ने मानुस प्रजाति का वर्गीकरण 4 श्रेणियों मे की है / उसके पूर्व मनीषियों ने मनुष्य और पशुओं मे भेद बताते हुये लिखा -
" एशाम ण विद्या ण तपो न दानम ज्ञानम न शीलम न गुणों न धर्मह
ते मर्त्यलोके भुविभारभूताह मनुष्य रूपेण मृगाशचरन्ति // "

‪#‎गुरुमूर्ती‬ जी ने बुद्धिमान मनुष्यों की श्रेणी बांटी - इंटेलिजेंट से इंटेलेक्चुवल मे / हजारों करोड़ का का चूना लगाने वाला चाहे ‪#‎यादव‬ सिंह हो , नीतीश लालू मायावती या मुलायम हों या फिर सोनिया गांधी ब्रिगेड हो , सबके सब इंटेलिजेंट हैं , लेकिन क्या ये इंटेलेक्टुयल भी है ?
गुरुमुरथी के अनुसार इनका विभाजन -
1- PI PI - personal Interest and personal Interest - देशी ‪#‎पशु‬ ‪#‎धनपशु‬ ‪#‎इंटेलिजेंट‬ 9 ( मात्र अपने बारे मे ही सोचे वाले )
2- PI NI - personal Interest over national Interest ( व्यक्तिगत हित राष्ट्र हिट के ऊपर - जिसमे ज़्यादातर नेता और बेउरोकरते हैं आजकल , और ‪#‎मरकसिए‬ )
3- NI PI - national Interest over personal Interest ( राष्ट्र हित व्यक्तिगत हितों के ऊपर रखने वाले )
4- NI NI - national Interest and National Interest - ( देश और देश के बारे मे सोचने वाले - ‪#‎इंटेलेक्चुवल‬ - लाखों लोग जिनहोने देश के जीवन कुर्बान किया है )
तुलसीदास ने लिखा -
रावण जब राम से युद्ध करने आता है तो बोलता है कि -
आज बयरु सब लेहु निबाहीं / जौं रन भूमि भाजि नहिं जाही /
आज करऊँ खलु काल हवाले / परेहु कठिन रावन के पाले //
तो रामचन्द्र जी ने उसको बोला बकवाद न करो पुरुषार्थ दिखाओ / फिर कहते हैं कि मुझे क्षमा करो लेकिन मैं तुमको नीति की बात बताता हूँ /
"जनि जल्पना करि सुजसु नासहि नीति सुनहि करहि क्षमा /
संसार माँ पुरुष त्रिविध पाटल रसाल पनस समा /
एक सुमनप्रद एक सुमनफल एक फलहिं केवल लागहीं /
एक कहहिं कहहिं करहि अपर एक करहिं क़हत न बागही //
- अर्थात राम कहते हैं - " क्षमा करो लेकिन बकवाद कसके अपना सुयश का नाश न करो , और नीति की बात सुनो - विश्व मे तीन प्रकार के लोग होते है - एक पलाश (पाटल ) , आम (रसाल ) और कटकल की भांति / एक सिर्फ सुगन्ध विहीन पुष्प होता है , दूसरे मे पुष्प (बौर ) और फल दोनों होता है , और तीसरे मे मात्र फल होता है / एक सिर्फ बोलते हैं , दूसरे बोलते भी है और कर्म भी करते है ,तीसरे तरह के लोग कुछ बोलते नहीं सिर्फ कर्म करने मे विश्वास रखते है /
इसी बात को करपात्री जी ने नीतिशतक (75 ) का उद्धरण अपनी पुस्तक ‪#‎मार्कस्वाद‬ और रामराज्य मे दिया है /
एके सत्पुरुषाह परार्थघटकाः स्वार्थ परित्यज्य ये
सामान्यस्तु परार्थमुद्यमभृतह स्वर्थ्विरोधेन ये /
तेअमी मानुषराक्षसाः परहितम स्वार्थाय निघ्नंति ये /
ये निघ्नंति निरर्थकम परहितम ते के न जानीमहे //
अर्थात - जो स्वार्थ को त्यागकर भी परोपकार ही करते हैं , वे सत्पुरुष हैं / जो अपने स्वार्थ की रक्षा करते हुये परोपकार करते है , वे सामान्य लोग है , जो लोग स्वार्थ हेतु परहित का विघात करते हैं , वे मनुष्य वेश मे राक्षस ही हैं ,परंतु जो लोग अकारण ही परहित विघात ( दूसरों का नुकसान ) करते हैं- उनको क्या कहा जाय - समझ मे नहीं आता /
अब आप स्वयं आकलन करें कि हमारे देश मे इंटेलिजेंट कौन है , और इंटेलेक्टुयल कौन है ?
सत्पुरुष कौन है ?
सामन्य जन कौन है ?
और राक्षस कौन है ?

डॉ आंबेडकर ने भारत के 25% जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को पिछले 68 वर्ष में कुंठा घृणा और आत्महीनता के कुएं में धकेल दिया ।

पोप फ्रांसिस अब मेक्सिको की यात्रा करने वाले हैं. वहां के मूल निवासी रेड इंडियंस ने उन्हें संदेश भेजा है।
ज्ञातव्य हो कि यूरोपीय नीली आँख सफ़ेद चमड़ी और सफ़ेद बाल वाले milatonin हॉर्मोन की कमी वाले ईसाईयों ने वहां के रेड इंडियंस के सोना चांदी के खदानों और भण्डारण पर कब्जा किया और उनका कत्ल किया - जैक गोल्डस्टोन : Rise of Europe 1500 to 1850 .
ईसाईयों ने रिलिजन के नाम पर 1500 से 1800 के बीच 200 मिलियन यानि 20 करोड़ मूलनिवासियों का कत्ल किया - ‪#‎गुरुमूर्ति‬
आज तक इस रहस्य पर पर्दा पड़ा है ।
ज्ञातव्य हो कि 1900 में भारत की कुल जनसँख्या 22 करोड़ थी ।
और 1850 से 1900 के बीच ईश्वरीय आदेश ( Providence) भारत पर शासन करने को White Man's burden समझने वाले शासकों के शासन से 2 करोड़ लोग अन्न के आभाव में मृत्यु को प्राप्त करते हैं क्योंकि उनकी जेब में अन्न खरीदने का पैसा नहीं था जबकि अन्न गुड़ खांण और अन्य भोज्य पदार्थ भारत से यूरोप और इंग्लैंड एक्सपोर्ट होता था ।
ज्ञातव्य हो कि विल दुरांत से लेकर नौरोजी गांधी अमिय बागची पॉल बैरोच और अनगस मैडिसन के अनुसार भारत की 20 % आबादी हेंडीक्राफ्ट पर निर्भर थी जो 0 AD से 1750 तक विश्व जीडीपी का 25% शेयर मन्युफॅक्चर करती थी ।
जिसे कालान्तर में ‪#‎डिप्रेस्ड_क्लास‬ का नाम दिया गया ।
इसी डिप्रेस्ड क्लास को ‪#‎आंबेडकर‬ ने 1928 में Untouchable in ‪#‎Notional‬ sense सिद्ध करने की कोशिश की साइमन कमीशन के सामने ।
और 1931 में lothian समिति को प्रस्ताव भेजा कि जो अछूत चमार नहीं हैं उनको भी अछूत माना जाय ।
गांधी ने 1942 में जब ‪#‎अंग्रेजों_भारत_छोडो‬ का नारा दिया तो आंबेडकर क्या कर रहे थे इसका जबाव न तो गूगल बाबा देते हैं और न ही ‪#‎दिव्यांग_चिंतक‬

1946 में कक्षा 10 पास संस्कृतज्ञ ‪#‎मैक्समूलर‬ , MA शेरिंग और झोला छाप संस्कृतज्ञ जॉन मुइर की ‪#‎ओरिजिनल_संस्कृत_टेक्स्ट‬ और बाइबिल पढ़कर इस निष्कर्ष पर पहंचते है कि ऋग्वेद की पुरुषोक्ति प्रक्षिप्तांश है और ब्राम्हणों की शाजिश है , इस्सलिये आज शूद्रों को निम्न कार्य अलॉट किया गया है पिछले 3000 वर्षों से ।
जबकि विल दुरांत तथ्यों के साथ 1930 में लिखता है कि लोग वर्तक्सशन के कारण जमीन जब्त किये जाने से बेघर होकर शहरों की ओर भागे , और जो उनमे से शौभाग्यशाली थे उनको गोरो का ‪#‎मैला‬ उठाने का कार्य मिला , क्योंकि यदि गुलाम इतने सस्ते हों तो शौचालय बनाने का झंझट कौन पाले ।
लेकिन डॉ आंबेडकर ने भारत के 25% जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को पिछले 68 वर्ष में कुंठा घृणा और आत्महीनता के कुएं में धकेल दिया ।

उनसे किस तरह माफी मांगने की बात बोला जाय ?

 http://sputniknews.com/world/20160209/1034428140/indigenous-seek-apology-from-pope-for-genocide.html

Counter to Supreme courts judgement - Hinduism is way of life

अमरकोश में लिखा है -
एकेरबुद्धि उपयोगे।
यानि बुद्धि का उपयोग एक दिशा में ही किया जा सकता है ।
मोक्षेर्धी ज्ञानम् ।
अन्य शिल्पशास्त्रयो विज्ञानं।
अर्थात धर्म अर्थ काम मोक्ष जीवन के चार लक्ष्य हैं ।
मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में प्रयुक्त बुद्धि से ‪#‎ज्ञान‬ की प्राप्ति होती है। वही ज्ञानी धर्म क्या है उसको परिभाषित कर सकता है ।वही व्यक्ति ये भी कह सकता है कि -
ब्रम्ह सत्यम जगत मिथ्या
जीवो ब्रम्ह नापरः ।
यानि वही ये भी कह सकता है कि ब्रम्ह सत्य जगत तो मिथ्या है , ब्रम्ह और जीव में अंतर नहीं है । और वही ज्ञानी ये दावा भी कर सकता है कि - अहम् ब्रम्हाश्मि । ये आदि गुरु शंकरा चार्य ने कहा ।
फिर उसको ज्यादा परिभाषित करते हुए रामानुजाचार्य ने कहा कि - ब्रम्ह भी सत्य है , माया यानि जगत भी सत्य है लेकिन इस माया को पहचानने का भी एक रास्ता है ।
Arun Tripathi जी जरा याद दिलाएं , वो श्लोक मैं भूल गया हूँ ।

अन्य शिल्पशास्त्रयों विज्ञानं - अर्थात ज्ञान के अलावा (ब्रम्ह को जान्ने के मार्ग पर न जाने वाले ) जो बुद्धि का उपयोग जगत के भौतिक पदार्थो यानि माया के निर्माण में बुद्धि का उपयोग करते है वे विज्ञानी हैं ।
तो एक वकील जज बनता है तो कानून को परिभाषित करता है ।
उसकी क्षमता ज्ञान और धर्म को परिभाषित करने की नही है ।
और न ही भारत का संविधान धर्म की परिभाषा करने की औकात रखता है ।
ये विदेशी लूटेरो द्वारा बनाया विधान है , भारत के सनातन परंपरा के द्वारा बनाया विधान नही है ।
जिस जज ने भी ये निर्णय दिया है उससे पूंछ जाना चाहिए कि एक कारकुशीलव शुद्र कब से एक ज्ञानी ब्राम्हण हो गया ?

Saturday, 6 February 2016

अपनी ही जात मे शादी का क्या महत्व है - जडेजा का उदाहरण

#‎जाति‬ नहीं ‪#‎जात‬
क्योंकि जाति Caste का अनुवाद है जो लैटिन शब्द है । Castas से उत्पत्ति हुई इसकी ।#जाति का अर्थ अमरकोश के अनुसार - सुमन मालती (दो पुष्पों के नाम) और सामान्य जन्म भर है । क्या इससे caste system की व्याख्या होती है ?
न्यूजीलैंड और अन्य कई देशो में Half Caste , Quarter Caste जैसे शब्दों का प्रयोग होता है ।
उसका क्या मतलब है ?
कोई बताये ?
संविधान का गठन 1900 के बाद शुरु हो गया था ।1900 के बाद भारत में जितने भी कमीशन आये वे स्वशासन हेतु संविधान निर्माण हेतु आये , साइमन कमीशन से लेकर चेम्फोर्ड मोंटगु सबके सब ।
1935 इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट आया जिसमे सचेडुलेड caste की मान्यता दी । 1950 में बने संविधान में वो सब शामिल है जो अंग्रेजों ने हिन्दू और हिंदुस्तान को बांटने की शाजिस रची । हिंदुस्तान का तात्पर्य हिन्दू मुस्लिम ईसाई यहूदी पारसी सब से है ।
क्योंकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से ही अंग्रेजों की ‪#‎फटेली‬ थी ।
क्योकि 1857 में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने अंग्रेजों के विरुद्ध कदम से कदम मिलाकर लड़ाई की ।मंगल पाण्डेय झाँसी की रानी , तात्या टोपे सबने बहादुर शाह जफर को देश का नेता माना
फर्क सिर्फ इतना था कि हिन्दू लड़ा ‪#‎देश‬ की खातिर , और मुसलमान लड़ा ‪#‎दीन‬ की खातिर ।
‪#‎वीर_सावरकर‬ जैसे कम्युनल नेता ने लिखा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में और उसके बाद हिन्दू और मुसलमान को कंधे से कन्धा मिलाकर अत्याचारी ईसाईयों से लड़ना होगा ।
लेकिन चूंकि ये सिद्ध हो चूका है कि ‪#‎ईसाई‬ ‪#‎कसाइयो‬ से 668 वर्ष सीनियर है , तो वो उसका कमीनेपन की सीमा भी 600 वर्ष ज्यादा mature है ।वरना अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और न जाने कितने जगहों के मूल निवासियों का कत्ल कर उस पर कब्जा न कर पाता।
खैर जाने दें ये कथा फिर कभी ।
मूल बात ये है कि #जात यानि वंशवृक्ष के बरगद में अलग अलग गोत्र में शादी करने की हमारी परंपरा रही है ।
गोत्र यानि school of thought ।
अलग ऋषि के स्कूल में अलग अलग विद्याओं की शिक्षा दीक्षा दी जाती थी ।
इस लिए ज्ञान परंपरा के विस्तार हेतु ‪#‎सगोत्रीय‬ शादिया वर्जित है ।
और जात यानि कुल -खानदान- वंश , पति पत्नी के आपसी मनमुटाव और टकराहट में एक दूसरे से अलग होने (‪#‎तलाक‬) में एक cushion यानि shock absorver का काम करता है ।
आज भारत विश्व में दुबारा एक आर्थिक शक्ति बन कर उठ रहा है तो उसका कारण न सोनिया मनमोहन हैं और न ही मोदी ।
बल्कि भारत का पारिवारिक संस्कार और समाज ।
और खासतौर पर घरेलू महिलायें , जो - खुद "‪#‎कणम‬ त्यागे कुतो धनम्", का व्यवहारिक प्रयोग करती है और पैसे बचाकर, बैंकों में जमा करके, देश की जीडीपी का मुख्य हिस्सा बनती हैं ; और अपने बच्चे को "‪#‎क्षणम‬ त्यागे कुतो विद्या " का ज्ञान देती हैं ।
आज पश्चिम में 51 % सिंगल पैरेंट फॅमिली हैं । यानि 51% बच्चे अपनी माताओं के साथ रहते हैं , उनके बाप कौन है शायद वो माएं भी नहीं जानती ।
तलाक का प्रतिशत शत प्रतिशत है । इस्सलिये वे शादी की वर्ष गाँठ मनाते हैं कि चलो एक साल और चल गयी शादी।( लेकिन हम चूतिये कॉपी कैट पेन ड्राइव , उसी को मॉडर्न होना कहते हैं । यहाँ तो 7 जनम तक की बुकिंग है शादी के उपरांत )
इसीलिये जात में शादी परिवार में पति पत्नी में होने वाली टकराहट से परिवार के खण्डित होने से बचाने में एक cushion या shock absorver का काम करती है ।

 http://hindi.revoltpress.com/breaking-news/its-my-dream-to-marriage-in-own-cast-says-ravindra-jadeja/