Wednesday 28 October 2015

#‎HOOK_SWINGING_CONTROVERSIES‬ : missionaries and British administration hand and gloves to abolish Indian Tradition


  #‎HOOK_SWINGING_CONTROVERSIES‬ : FROM "CASTES OF MINDS " BY NICHOLAS B DIRKS
Chapter:8 Policing of Tradition
इस पोस्ट को समझने के लिए कुछ मुख्य तथ्यों को समझें /
‪#‎इसाइयत‬ की बाइबल के अनुसार जब गोद ने एडम और ईव को धरती पर भेजा और उनसे ज्ञान के फल को खाने के लिये मना किया / इसके बावजूद जब सांप के बहकावे मे आकार ईव ने ‪#‎ज्ञान‬ का फल खा लिया तो उनकी चेतना जाग्रत हुयी और उन्होने वृक्षों के पत्तों से अपने शरीर को ढँक लिया / God ने जब यह जाना कि इनहोने उसकी हुकमुदूली की है तो श्राप दिया कि ' तुम दोनों (स्त्री पुरुष) के संयोग से जो भी संताने पैदा होगी वो पैदाशी पापी होंगी /
इसीलिए जीसस को Virgin Mary के कोख से जन्म लेना पड़ा , अन्यतः वो भी एक सामनी ईसाई की तरह पापी होते /
जीसस के क्रॉस पर लटकाकर हत्या किए जाने को ईसाई धर्मगुरु कहते हैं कि god के श्राप के कारण मनुष्यों के पाइडयशी पाप को हरण करने हेतु जीसस ने क्रॉस पर पीड़ा या कष्ट को भोगा था / अब जो भी व्यक्ति जीसस मे अपनी अष्ठा प्रकट करेगा और उनमी शरण मे जाएगा उसको मनुष्य योनि मे जन्म लेने के पाप से मुक्ति मिलेगी / इसीलिए सभी मनुष्यों को ये ईसाई बनाना चाहते हैं /
1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के बाद रानी विक्टोरिया ने घोषणा की कि ' भारत के किसी भी धर्म संबंधी रीति रिवाज मे ब्रिटिश शासन दखल नहीं देगा " / लेकिन भारत के लोगों पर यदि शासन करना है , और उनसे टैक्स वसूलना है , और ईसाई मिशनरियों के साथ ‪#‎धर्म‬ परिवर्तन कि शजिश करनी है , तो भारत के रीति रिवाज और ग्रन्थों का अदध्ययन और उनका अपने हित मे तोड़ मरोड़कर व्याख्या आवश्यक है /
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1891 मे ‪#‎मद्रास‬ मेल मे एक नाटकीय खबर छपी कि " मदुरा के निकट शोलावंदन मे हुक स्विंगिंग नामक एक बर्बर और असभ्य रिवाज जन्म ले रहा है जिसके द्वारा लोग इंद्रा देवता को बारिश के लिए प्रसन्न करने हेतु करते हैं " / ( 1900 मे भारत की जीडीपी 25 % से घटकर मात्र 2% बची थी , और 1875 से 1900 के बीच 2 करोड़ लोग भूख और अकाल से मर गए थे )
यद्यपि अखबारो मे छपी खबरों के हिसाब से ये प्रथा 1850 से पहले से भी पुरानी है / शिवराम ऐयर नामक एक ब्रामहन विद्वान के अनुसार -" ये एक प्रकार का ‪#‎हठयोग‬ साधना थी जिसको न जाने कबसे अभ्यास किया जाता था /" इस प्रक्रिया मे लोगों के पीठ की मांसपेशियो मे विशेष प्रकार से दो हुक फसाया जाता था जिसमे रस्सी के द्वारा उस व्यक्ति को 20 फीट के ऊपरा से ज्यादा ले जाकर झूला झूलना होता था /
1892 मे शोलावंदन के जिला मजिसट्रते ने रिपोर्ट किया कि ‪#‎कल्लन‬ नामक व्यक्ति ने 5000 लोगों कि भीड़ के सामने ये इस काला का प्रदर्शन किया , जिसने खुद बताया कि न तो उसे दर्द हुआ और न ही उसके घाव से ब्लीडिंग हुयी , यद्यपि हुक के लिए बनाए गए सूराखों मे एक उंगली प्रवेश कर सकती थी / डॉ फ्रैंक वां एलेन MD ने खुद इस घटना की रिपोर्ट किया कि - एक डॉ की हैसियत से मुझे आश्चर्य है कि इस व्यक्ति पर इस घटना का का कोई भी दुसप्रभाव नहीं हुआ / एक साधारण व्यक्ति के लिए ये जानलेवा हो सकती थी '/
इस समारोह मे समाज का हर तबका भाग लेता था /
ईसाई मिशनरियों को इस समराओह से सख्त ऐतराज था जिसको वो समय समय पर बार्बर और असभ्य और अमानवीय रिवाज ठहराते थे /
इसमे पेंच क्या था ?
पेंच ये था कि ये लोकप्रिय खेल उनके इसाइयत के प्रचार मे बड़ी बाधा और कॉम्पटिशन थी /
कैसे ?
ये जीसस जैसे प्रॉफ़ेट के उस क्रॉस पर लटकने को एक चुनौती देता था जिस पर ईसाई धर्मगुरुओं का ये दावा था (और है भी ) कि जीसस ने मनुष्यों को उनके पैदा होने के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए अपनी जान सूली पर लटकाया था / और यहाँ एक आम हिंदुस्तानिन सूली पर लटककर झूला झूल ले रहा है , और उसके घाव से एक बूंद रक्त भी नहीं निकाल रहा है ?
ईसाई मिस्सीओनरियों ने लगातार प्रशासन पर इस प्रथा का अंत करने के लिए कनून बनाने के लिय दबाव डाला लेकिन प्रशासन की हिम्मत कभी इसके खिलाफ कोई कानून बनाने कि हुयी नहीं /
उन्होने ने यहा तक भ्रम फैलाया कि मंदिर के पुजारी इस धार्मिक अनुष्ठान से धन कमाते थे /
Miller
अंत मे 1894 मे मदुरै के जिला मजिस्टरटे एल सी मिल्लर ने अपने एकाधिकार का प्रयोग करते हुये इस शोलावंदन के इस सालाना धार्मिक अनुष्ठान पर रोक लगा दी / जिसका लोकल निवासियोइन ने जमकर प्रतिरोध किया , जिनमे ब्रामहानस (ऐयर ) मुदलियार पिल्लई ,कललर्स मरवार वालईयार , पेरियार और पललर , सभी वर्गों के लोग शामिल थे / इसके खिलाफ मुकदमा दाखिल किया गया जिसका ईसाई मिशनरियों ने विरोध किया /
अंत मे धारा 144 (सीपीसी ? ) के तहत बहुत ही आधारहीन तथ्यों के आधार पर ‪#‎हूक्स्विंगिंग‬ को बंद करवा दिया गया / "
ये तो है इतिहास ‪#‎रेलीजन‬ के अनुयाइयों का , जो आज भी ‪#‎चंगाई‬ करवाकर मरीजों का इलाज करते हैं , और सच्चे धर्म मे आने के लिए ( इसाइयत मे ) साम दाम दंड भेद सबका प्रयोग कर रहे हैं पूरी दुनिया मे /
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