Tuesday, 20 October 2015

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके ‪#‎मनसा_वाचा_कर्मणा‬ से ही की जाती है ।

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके ‪#‎मनसा_वाचा_कर्मणा‬ से ही की जाती है ।
यानि जो उस व्यक्ति के मन में हो , वही बात उसकी वाणी में भी मुखर होनी चाहिए ; और जो बात उसकी वाणी में मुखर हो रही हो , उसके कर्म में भी वही परिलक्षित होनी चाहिए ।
इस सिद्धांत का न पालन करने वाले व्यक्ति को पहचानना जरूरी होता है । इन्ही को ‪#‎कुटिल_खलु_कामी‬ भी कहते हैं ।इन पर कड़ी निगाह रखनी चाहिए -क्योंकि रावण यदि अक्षम हो तो साधू वेश में आता है ।
" साधू वेश में रावण आया "

इनको अवश्य पहचानें ।वरना वो आपकी पीठ में छुरा भौंकेंगे ।
एक और विशेषता होती है इनकी - ये बहुत मधुर भाषी होते हैं विनयशील होते हैं । लेकिन वहां भी एक लोचा है -" अति विनयी चौरस्य लक्षणन "
अर्थात अति विनयशील चोर हो सकता है ।
आम भाषा में जो मनसा वाचा कर्मणा एक न हो उसको ‪#‎दो_गला‬ कहते हैं ।
यानि डबल स्पीक = आपके सामने कुछ और ,लेकिन आपके पीछे कुछ और ।
तो ‪#‎दो_गलो_से_सावधान‬
They are like green serpent in green grass.

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