मैं हूँ #मुसहर तू #मुस्बिल्ला //
#एखलाक अल्लाह #एखलाक अल्लाह //
#अखलाक #सिंड्रोम से पीड़ित सरकार के कृपा से #पुरस्कार_लभते वामियों , जामियों , और #अल_तकियों मे साहित्य अकादेमी या उस तरह के साहित्य रचना के एवज मे कब्जा किए पुरस्कारो को लौटाने की जो भगदड मची है , उसको देखकर आज मुझे अपना बचपन याद आ गया /
बचपन मे मुझे याद है कि गेहूँ की फसल काटने के बाद जब धान की रोपाई का समय आता था तो उनही खेतों को पहले पानी से सींचा जाता था , जिससे कि धान कि रोपाई के लिए खेत को तैयार किया जा सके /
गेहूं के फसल के दौरान #चूहे गेहूं की बालियों को काटकर , खेत के अंदर ही बिल बनाकर, उसमे उन बालियों को इकट्ठा कर लेते थे , और मौज से गर्मी मे जमीन के अंदर जीवन व्यतीत करते थे / चूहों के इस नवनिर्मित बिलों मे रहने वाले चूहों को हम लोग #मुस्बिल्ला कहते थे /
लेकिन जब धान की रोपाई के पूर्व उन खेतों की पानी से सिचाई होती थी , तो यह उन मुसबिल्लो के लिए प्रलयकाल का समय होता था / जैसे जैसे पानी इनके बिलों मे भरने लगता था , वैसे वैसे वे चूहे / मुसबिल्ले अपने बिलों को छोडकर खेत के बाहर जान बचाने के लिए भागने लगते थे / खेतों के मेडो पर हम बालकों की फौज हांथ मे बेहया का डनडा लेकर उनका इंतजार करते थे , और जैसे ही कोई मुस्बिल्ला नजदीक आता था उसका काम तमाम कर देते थे / हमारे साथ ही होते थे घर के पालतू कूकूर , जो उस दिन नोनवेज पार्टी करते थे उन मुसबिल्लो का /
तो भैया यही हाल हो गया है इन #सेकुलर साहित्यकारों का , कि कैसे जान बचाकर शीघ्र से शीघ्र शहीदों मे अपना नाम लिखाया जाय /
शुरू किया था #उदय_प्रकाश ने एक झूंठी कथा लिखकर , कि उनको लोगों ने गरियाया था ( कट्टर हिंदुओं ने ) , लेकिन एफ़आईआर दर्ज न कराई पट्ठे ने / अब बड़े कहानीकार हैं तो एक कथा गढ़ना उनके बाएँ हांथ का खेल था / खैर ॥
फिर शुरू हुआ मुसबिल्लों का बाहर नुकलने का दौर / 100 से ज्यादा बाहर आ चुके हैं , हमारी अपेकषा 1000 मुसबीललों के बाहर आने की है /
आओ , बचचू , बाहर आओ , हम मुसहर लोग मेड पर खड़े हैं बेहया का डनडा लेकर तुम्हारी बेहयाई का इलाज करने के लिए /
सेकुलर मुसबिल्लों सो गए हो तो कोई बात नहीं , लेकिन कल सुबह जल्दी जग जाना / आजकल अखिलेश सरकार 4 बजे सुबह बिजली देती है , और बिजली आते ही खेत मे पानी भरना शरु हो जाएगा / बाद मे ये न बोलना कि चेतवानी नहीं दी थी मौसम विभाग ने कि #सुनामी आने वाली है, नही तों हम शहीद होने से बच जाते /
#जागते_रहो //
#एखलाक अल्लाह #एखलाक अल्लाह //
#अखलाक #सिंड्रोम से पीड़ित सरकार के कृपा से #पुरस्कार_लभते वामियों , जामियों , और #अल_तकियों मे साहित्य अकादेमी या उस तरह के साहित्य रचना के एवज मे कब्जा किए पुरस्कारो को लौटाने की जो भगदड मची है , उसको देखकर आज मुझे अपना बचपन याद आ गया /
बचपन मे मुझे याद है कि गेहूँ की फसल काटने के बाद जब धान की रोपाई का समय आता था तो उनही खेतों को पहले पानी से सींचा जाता था , जिससे कि धान कि रोपाई के लिए खेत को तैयार किया जा सके /
गेहूं के फसल के दौरान #चूहे गेहूं की बालियों को काटकर , खेत के अंदर ही बिल बनाकर, उसमे उन बालियों को इकट्ठा कर लेते थे , और मौज से गर्मी मे जमीन के अंदर जीवन व्यतीत करते थे / चूहों के इस नवनिर्मित बिलों मे रहने वाले चूहों को हम लोग #मुस्बिल्ला कहते थे /
लेकिन जब धान की रोपाई के पूर्व उन खेतों की पानी से सिचाई होती थी , तो यह उन मुसबिल्लो के लिए प्रलयकाल का समय होता था / जैसे जैसे पानी इनके बिलों मे भरने लगता था , वैसे वैसे वे चूहे / मुसबिल्ले अपने बिलों को छोडकर खेत के बाहर जान बचाने के लिए भागने लगते थे / खेतों के मेडो पर हम बालकों की फौज हांथ मे बेहया का डनडा लेकर उनका इंतजार करते थे , और जैसे ही कोई मुस्बिल्ला नजदीक आता था उसका काम तमाम कर देते थे / हमारे साथ ही होते थे घर के पालतू कूकूर , जो उस दिन नोनवेज पार्टी करते थे उन मुसबिल्लो का /
तो भैया यही हाल हो गया है इन #सेकुलर साहित्यकारों का , कि कैसे जान बचाकर शीघ्र से शीघ्र शहीदों मे अपना नाम लिखाया जाय /
शुरू किया था #उदय_प्रकाश ने एक झूंठी कथा लिखकर , कि उनको लोगों ने गरियाया था ( कट्टर हिंदुओं ने ) , लेकिन एफ़आईआर दर्ज न कराई पट्ठे ने / अब बड़े कहानीकार हैं तो एक कथा गढ़ना उनके बाएँ हांथ का खेल था / खैर ॥
फिर शुरू हुआ मुसबिल्लों का बाहर नुकलने का दौर / 100 से ज्यादा बाहर आ चुके हैं , हमारी अपेकषा 1000 मुसबीललों के बाहर आने की है /
आओ , बचचू , बाहर आओ , हम मुसहर लोग मेड पर खड़े हैं बेहया का डनडा लेकर तुम्हारी बेहयाई का इलाज करने के लिए /
सेकुलर मुसबिल्लों सो गए हो तो कोई बात नहीं , लेकिन कल सुबह जल्दी जग जाना / आजकल अखिलेश सरकार 4 बजे सुबह बिजली देती है , और बिजली आते ही खेत मे पानी भरना शरु हो जाएगा / बाद मे ये न बोलना कि चेतवानी नहीं दी थी मौसम विभाग ने कि #सुनामी आने वाली है, नही तों हम शहीद होने से बच जाते /
#जागते_रहो //
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