Saturday 9 April 2016

आखिर कब तक विकास के विदेशी मोडेल को अपनाकर भारत का भला करोगे PMO India Rajnath Singh जी ?

आखिर कब तक विकास के विदेशी मोडेल को अपनाकर भारत का भला करोगे PMO India Rajnath Singh जी ?
क्या आपको काँग्रेस की मानसिक गुलामी के मोडेल, यानि नेहरू मोडेल को आगे बढ़ाने के लिए देश ने चुना था ?
125 करोड़ की आबादी वाले देश मे , जिसकी जनसंख्या घनत्व , दुनिया के विकसित देशो से कई गुना ज्यादा है , क्या वेदेशी मोडेल उसकी समस्या का हल कर पाएगा ?
अभी एक समाचार आ रहा है कि देश के कई जगहों मे अभी पीने का पानी नहीं मिल रहा है,लोग पानी को ताले के अंदर बंद कर रहे है ?
भारत के लिखित इतिहास के अनुसार भारत कम से कम 600 मे पूरी दुनिया की 20% आबादी भारत मे रहती आई है /
अगर हमारे मनीषी बड़े बड़े मंदिर पहाड़ों पर बना सकते थे , जो हजारों सालों से आज भी सुरक्शित है, तो क्यों उन्होने पक्के घर नहीं बनाए ?
Alaxandor Dow के History of hindostan के 1779 के अनुसार बंगाल कि मात्र 2% जनता शहरों मे रहती थी , और इंपेरियाल गुजेटेयर ऑफ इंडिया के अनुसार 1900 तक मात्र 5 % जनसंख्या शहरी थी / भारत का शहरीकरण नहीं किया उन्होने, तो इसके कुछ तो कारण रहे होंगे ?
लेकिन जब भारत के ग्रामीण मैनुफेक्चुरिंग उद्योगों को नष्ट करके कपिटलिस्ट मोडेल अंग्रेजों ने अपनाया , तो जनता रोजी रोटी के लिए शहरों की ओर भागी /
गांधी ने उस मैनुफेक्चुरिंग और आर्थिक व्यवस्था को लागू करने की कोशिस की ,परंतु माइकाले दीक्षित मानसिक गुलाम नेहरू ने प्रधानमंत्री बनते ही उनके विचारों को कूड़ेदान मे दाल दिया /
‪#‎स्वतंत्र‬ तो हुये , लेकिन काले अंग्रेज़ो ने क्या ‪#‎स्व_का_तंत्र‬ बनाया क्या ?

रोमेश दत्त के हैमिल्टन बूचनान के हवाले से ( 1807 ) के अनुसार कई जिलों का डाटा दिया गया है , जिसके अनुसार ग्रामीण महिलाओ की , चाहे वो अच्छे घर की हो या किसान की पत्नी हो , दोपहर बाद आराम के क्षणों मे कॉटन के कपड़ों के लिए,धागे बनाने (spinning) से प्रतिवर्ष लगभग 3 रुपये की कमाई होती थी / और बूचनन के अनुसार उस समय एक रुपये की कीमत दो पाउंड हुआ करती थी / यहाँ तक कि बर्बाद भारत मे 1947 मे एक रुपये की कीमत एक डॉलर के बराबर होती थी /
तो मोदी जी आपको हावर्ड और ऑक्सफोर्ड के अर्थशास्त्री नहीं चाहिए / कौटिल्य को जानने और समझने वाला अर्थशास्त्री चाहिए / आपको भारत के आर्थिक इतिहास को जानने वाला अर्थशास्त्री चाहिए /
और वही सनातन मोडेल ऑफ इकॉनमी चाहिए - Production by Masses for masses न कि mass production by few , चाहे वो वामपंथी मोडेल हो या कपिटलिस्ट मोडेल , जिससे ग्रामीण जनता को गाव मे ही सुखी जीवन जीने मे आनंद आए ,न कि बड़े शहरों मे स्लम एरिया के नरक मे जीने को बाद्ध्य न होने पड़े /
‪#‎देश_को_स्मार्ट_सिटी_नही_स्मार्ट_गाव_चाहिए_मोदी_जी‬
देश को पत्थर से न पाटे विकास के नाम पर , हरियाली, नदी तालाब और खेत खलिहान चाहिए /

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