श्रूयतां धर्मसर्वश्वम श्रुत्वा च इत प्रधार्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् ।
#धर्म का सार सुनें और इसको धारण करें । अर्थात इसका प्रतिपालन करें ।
( किसका ?)
दूसरों के द्वारा जो व्यवहार आप अपने प्रति नहीं चाहते, उसे आपको दूसरों के प्रति भी नहीं चाहिए ।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् ।
#धर्म का सार सुनें और इसको धारण करें । अर्थात इसका प्रतिपालन करें ।
( किसका ?)
दूसरों के द्वारा जो व्यवहार आप अपने प्रति नहीं चाहते, उसे आपको दूसरों के प्रति भी नहीं चाहिए ।
इस तरह के अनेकों श्लोक धर्म को व्याख्यायित करने हेतु प्रस्तुत कर सकता हूँ कि धर्म #सेक्युलर
की परिभाषा से बहुत ऊपर की चीज है। क्योंकि धर्म समग्र रूप से आपके चरित्र
में लोभ मोह काम मद और मोह पर किस तरह विजय पाया जाय , उसकी बात करता है ।
क्या रिलिजन और मजहब की पवित्र पुस्तकों में कोई verse और आयत ऐसी है जो इस धर्म की सनातनी व्याख्या के समकक्ष हो ?
धर्म इस बात की बात ही नहीं करता कि किसी पुस्तक या गॉड या अल्लाह द्वारा दिए गए , प्रश्नवाचक संदेशों के नाम पर किसी के जीने का अधिकार छीन लो ।
ये बात हिन्दुओ को समझ में न आएँगी क्योंकि इन सेक्युलर कीड़ों में होली बाइबिल और कुरान पढ़ने की छोडो , हिंदुओं के ग्रन्थ पढ़ने का न साधन है न इक्षा।
क्या रिलिजन और मजहब की पवित्र पुस्तकों में कोई verse और आयत ऐसी है जो इस धर्म की सनातनी व्याख्या के समकक्ष हो ?
धर्म इस बात की बात ही नहीं करता कि किसी पुस्तक या गॉड या अल्लाह द्वारा दिए गए , प्रश्नवाचक संदेशों के नाम पर किसी के जीने का अधिकार छीन लो ।
ये बात हिन्दुओ को समझ में न आएँगी क्योंकि इन सेक्युलर कीड़ों में होली बाइबिल और कुरान पढ़ने की छोडो , हिंदुओं के ग्रन्थ पढ़ने का न साधन है न इक्षा।
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