Wednesday 2 March 2016

#‎हरिजन‬ से मुक्ति पाना क्यों जरूरी था ? और अब बहुजन मुक्ति के मायने क्या हैं ?

#‎हरिजन‬ से मुक्ति पाना क्यों जरूरी था ? और अब बहुजन मुक्ति के मायने क्या हैं ?
विल दुरांत ने J Sunderland का रिफरेन्स देते हुए लिखा -
" मैनें अपनी आँखों से लोगों को भूंख से मरते देखा है।और ये दुर्दशा और भुखमरी overpopulation या अंधविस्वास के कारण नहीं है , जैसा कि उनके benificiery ( अंग्रेज) दावा करते हैं ।बल्कि आज तक के इतिहास में एक देश द्वारा दूसरे देश का सबसे घोर और अपराधिक शोषण के कारण है।मैं बताना चाहता हूँ कि इंग्लैंड ने भारत का खून सैलून साल जिस तरह से चूसा है उसके कारण भारत आज मृत्यु के कगार पर खड़ा है ।" पेज 1-2
" भारत पर ब्रिटिश की जीत एक व्यापारी कंपनी का आक्रमण और उन्नत सभ्यता का विनाश था , जिसका (कंपनी का ) न कोई आदर्श था , न आर्ट के प्रति कोई सम्मान था , वह मात्र भौतिक उपलब्धि की लालच में मदान्ध लोगों का बन्दूक और तलवार के दम पर अव्यवस्थित और असहाय लोगों के ऊपर आक्रमण था जो उत्कोच देकर और हत्याएं करके राज्यों पर अधिकार जमा कर चोरी करने से शुरुवात करते हैं और तत्पश्चात इस अपराध को वैधानिक जामा पहनकर पिछले 173 साल से बुरी तरह लूट (plunder) रहे हैं , और ये आज भी जारी है जब हम इन घटनाओं को लिख और पढ़ रहे हैं ।"पेज -7
" जो लोग आज हिंदुओं की अवर्णनीय गरीबी और असहायता आज देख रहे हैं , उन्हें ये विस्वास ही न होगा ये भारत की धन वैभव और संपत्ति ही थी जिसने इंग्लैंड और फ्रांस के डकैतों (Pirates) को अपनी तरफ आकर्षित किया था। इस " धन सम्पत्ति" के बारे में Sunderland लिखता है :---" ये धन वैभव और सम्पत्ति हिंदुओं ने विभिन्न तरह की विशाल (vast) इंडस्ट्री के द्वारा बनाया था। किसी भी सभ्य समाज को जितनी भी तरह की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्ट के बारे में पता होंगे ,- मनुष्य के मस्तिष्क और हाथ से बनने वाली हर रचना (creation) , जो कहीं भी exist करती होगी , जिसकी बहुमूल्यता या तो उसकी उपयोगिता के कारण होगी या फिर सुंदरता के कारण, - उन सब का उत्पादन भारत में प्राचीन कॉल से हो रहा है । भारत यूरोप या एशिया के किसी भी देश से बड़ा इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग देश रहा है।इसके टेक्सटाइल के उत्पाद --- लूम से बनने वाले महीन (fine) उत्पाद , कॉटन , ऊन लिनेन और सिल्क --- सभ्य समाज में बहुत लोकप्रिय थे।इसी के साथ exquisite जवेल्लरी और सुन्दर आकारों में तराशे गए महंगे स्टोन्स , या फिर इसकी pottery , पोर्सलेन्स , हर तरह के उत्तम रंगीन और मनमोहक आकार के ceramics ; या फिर मेटल के महीन काम - आयरन स्टील सिल्वर और गोल्ड हों।इस देश के पास महान आर्किटेक्चर था जो सुंदरता में किसी भी देश की तुलना में उत्तम था ।इसके पास इंजीनियरिंग का महान काम था। इसके पास महान व्यापारी और बिजनेसमैन थे । बड़े बड़े बैंकर और फिनांसर थे। ये सिर्फ महानतम शिप बनाने वाला राष्ट्र मात्र नहीं था बल्कि दुनिया में सभ्य समझे जाने वाले सारे राष्ट्रों से व्यवसाय और व्यापार करता था । ऐसा भारत देश मिला था ब्रिटिशर्स को जब उन्होंने भारत की धरती पर कदम रखा था ।"पेज- 8-9____ ये थी भारत की आर्थिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रियल और कमर्शियल तस्वीर जब डकैत भारत में आये।
लेकिन जब ये डकैत गए तो ये सारा आर्थिक ढांचा खत्म था। भारत जो अनंत काल से 1750 तक पूरी दुनिया की 25% जीडीपी का मालिक था , और डकैत लोग मात्र 2% के ।1900 में भारत की जीडीपी 25 से घटकर मात्र 2% बचा।अब प्रश्न ये है कि will durant द्वारा प्रस्तुत ‪#‎मैन्युफैक्चरिंग‬ और ‪#‎इंडस्ट्री‬ के ‪#‎मैन्युफैक्चरर‬ का क्या हुवा ?उनकी वंशजों का क्या हुवा ?कहाँ गए वो ??
विल दुरांत के अनुसार - उनको अशिक्षा अंधविस्वास बेरोजगारी , बीमारी और मौत की सौगात मिली।
1875 से 1900 के बीच 22 करोड़ भारतीयों में से 2.5 करोड़ लोग अन्न के अभाव में प्राण त्याग देते हैं ।
बाकी बचे लोगों में से जो लोग गांवों से भागकर शहरो की और गए , विल दुरांत के अनुसार उनको गोरों का मैला उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुवा।
बाकि जो लोग जिन्दा बचे उनको किसी तरह जीवन यापन करने के लिए बाध्य होना पड़ा, अस्वच्छ ही सही जिन्दा तो रहे । यही से अछूत जैसे महामारी का जन्म होता है ।
इन्ही को गांधी ने #हरिजन का नाम दिया ।लेकिन उस शब्द का त्याग करना आवश्यक था क्योंकि गांधी सनातनी हिन्दू थे ।
तो?
एक कहानी गढ़ी गयी कि - हरिजन यानि भगवान की संतान -यानि जिसके माँ बाप का पता न हो ।यानि हरामी । यानि एक गाली। इसी गाली का प्रतिकार करके मायावती का उदय हुवा। फिर रानी वैक्टीरिया प्रदत्त डिप्रेस्ड यानि दलित शब्द की उत्पत्ति हुयी। लेकिन उससे भी बात नहीं बनी तो अब गढ़ा गया ‪#‎बहुजन‬
अब  मैं दलित विद्वानो से पूंछना चाहूँगा कि यदि हरिजन का अर्थ , जिसके बाप भगवान् हैं होता है , तो #बहुजन के क्या मायने हैं ?
ये गाली नहीं है ?
एक बात और बहुजन मुक्ति का अर्थ है उनका Kingdom of God में प्रवेश ।
यानि ‪#‎भर्जिन_मैरी‬ के पुत्र का अनुयायी बनना अर्थात - पैदायशी पापी घोसित करना खुद को ?
तो #महिशासुर पूजक भाइयों आप क्या पैदायशी पापी हो ?
Sinner by birth ?
The Original Sin ?

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