#वेदान्त_का_लेटेस्ट_विज्ञान : क्वांटम फिजिक्स और fractal ज्योमेट्री।
पश्चिम और अरबी दस्यु भारत आये थे - भूंखमरी से निजात पाने के लिए। लूट और दस्युता उसको अपने स्वयं के सेक्युलर रोमन और अरबी पूर्वजों से मिली थी, जिसको ईसाइयत और इस्लाम के धर्म ग्रंथो ने मान्यता दे रखी हैं। यद्यपि उन्होंने फनाटिसम के कारण अपने पूर्वज संस्कृति को नष्ट कर दिया, परंतु उनके ज्ञान पर अपना दावा बरकरार रखा।
प्लेटो, सुकरात अरस्तू से लेकर Euclid तथा हिप्पोक्रेट्स तक। यद्यपि उसमे संग्रहित बहुतायत ज्ञान भारत से ही गया है।
भारत का आर्थिक सर्वनाश करने के बाद वे उसे मानसिक गुलामों का देश बनाकर चले गए।
पढ़े लिखे भारतीय - अर्थात मानसिक गुलाम। पश्चिम के चश्मे से भारत को देखने वाले। पश्चिम का चश्मा - दस्युवो लुटेरों और मैक्समुलर जैसे अफवाहबाजों का चश्मा।
भारत से बटोरे शास्त्रों के ज्ञान को उन्होंने अपनी भाषा मे लिखना शुरू किया - सम्भवतः कुछ रिसर्च भी किया। उन्होंने प्रकृति को समझने का प्रयास विज्ञान के माध्यम से किया।
भौतिक विज्ञान के माध्यम से जब उन्होंने प्रकृति को समझना चाहा तो क्लासिकल फिजिक्स के नियम काम न आ सके। उसके लिए उन्होंने एक नया फिजिक्स विज्ञान विकसित किया - क्वांटम फिजिक्स। प्रकृति को समझने के लिए उन्होंने वेदान्त का सहारा लिया या वेदान्त के निर्णय तक पहुंचे, यह फिजिसिस्ट बताएं, लेकिन वे पहुंचे वहीं, जहां वेदान्त पहुंचाता है।
क्वांटम फिजिक्स के जनक मैक्स प्लांक कहते हैं - Counciousness is fundamental. चेतना सबके मूल में है। कृष्ण अपने ब्रम्ह स्वरूप की व्याख्या करते समय बोलते हैं - चेतना अश्मि सर्वभूतनाम। सभी जीवों में मैं चेतना के रूप में विद्यमान हूँ।
Hans peter durr भी उसी निर्णय पर पहुंचा - Material is not made out of matter. लगभग समस्त नोबेल पुरस्कार प्राप्त फिजिसिस्ट ने वेदान्त को ही अपनी भाषा मे लिखा है।
लेकिन उनकी खूबसूरती यह रही कि वे उन वैदिक सिद्धांतो को तकनीकी स्वरूप प्रदान करने में सफल रहे - क्वांटम फिजिक्स के इन्ही वेदान्तिक सिद्धांतो को प्रयोग में लाकर कंप्यूटर, मोबाइल आदि आदि बन रहे हैं।
गणितज्ञों ने जब सृष्टि को समझजे का प्रयत्न किया. आज तक जो क्लासिकल Euclidian ज्योमेट्री पढ़ाई जा रही है वह उसको समझाने में असफल रही।
Euclidian ज्योमेट्री अर्थात - ट्रायंगल, क्यूब, परल्लेलोग्राम आदि आदि।
प्रकृति को समझने के लिए Benoit Mandelbrot ने 1970 में fractal ज्योमेट्री की खोज की - जो आज कंप्यूटर की सबसे प्रिय भाषा और विषय है - किसी भी वस्तु की प्राकृतिक डिजाइनिंग के लिए।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि - कॉसमॉस, यूनिवर्स, या स्वयं को समझने और जानने के लिए 1000 वर्ष पूर्व बने मंदिरों में fractal ज्योमेट्री के ज्ञान का उपयोग किया गया था।
उससे भी बड़ी महत्वपूर्ण बात यह है कि - साइंटिस्ट तो थ्योरी देता है। fractal ज्योमेट्री का सिद्धांत ब्राम्हणों ने तैयार किया, जिनको हम ऋषि मुनि बोलते थे, लेकिन उनको वे आज नोबल लौरेट फिजिसिस्ट, बायोलॉजिस्ट, मथमेटिशन आदि बोलते हैं।
लेकिन उसको execute करने वाले, अर्थात धरातल पर उतारने वाले लोगों को शूद्र कहते हैं - राजशिल्पी कहते थे हम। आज उनको सॉफ्टवेयर इंजीनियर कहते हैं या कुछ और भी।
लेकिन जब अम्बेडकर ने अपने माई बाप - साइमन और लोथियन को लिखकर दिया कि वे अछूत ही हैं क्योंकि मैं ऐसा समझता हूँ, तबसे वे सर्टिफाइड अछूत हो गए।
उनको हमारा संविधान - #अनुसूचित_जाति बोलता है।
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