इस्लाम मे सेकुलरिस्म को समाहित करने की क्षमता है क्या ?
---------------------------------------------------------------------------------- ------- #तरेक फतेह ने इस्लाम को सेकुलरिस्म अपनाने की राय दी है इन्डोनेशिया के हवाले से / लेकिन क्या ये संभव है ? आज से 400 साल पहले ईसाइयत का भी यही हाल था ।
ब्रूनो को चर्च 1600 AD में 7 साल की सजा के बाद आग में जलाकर मार डालने का आदेश देता है , आज उसे विज्ञानं का शहीद कहते हैं । उसका गुनाह क्या था ?
उसने कहा कि - "पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है , जोकि होली बाइबिल में लिखे हुए verse के खिलाफ था ।
फिर जब कैथोलिक और प्रोटोस्टेंट ईसाई वर्ग आपस में फेथ के नाम पर एक दूसरे का क़त्ल करने लगे तो Act of Tolerance 1669 में लाया गया , अर्थात #सहिष्णुता_का_कानून । इसका मतलब हुवा कि चलो भाई माना कि फेथ के नाम पर एक दूसरे को पसंद नही करते , गर्दनें कत्ल रहे हो , तो ये करना बन्द करो। एक दूसरे को सहन तो करो , बर्दाश्त तो करो ।
फिर गलिलियो ने ब्रूनो के हेलियोसेंट्रिक थ्योरी को फिर से आगे बढ़ाया तो चर्च ने फिर आपत्ति की । उसने चर्च से सुलहनामा कर लिया तो उसको आग में जलाकर तो नही मारा लेकिन आजीवन गृहबन्दी बना दिया ।
अंत में मामला फिर भी नही समहला तो उन्होंने एक शब्द अपनी रोमन सभ्यता से उधार लिया #सेकुलरिज्म , अर्थात चर्च और बाइबिल शासन में दखल नहीं देगा । बाद में लिबर्टी और बढ़ी तो कुछ लोगों ने कहा कि मुझे बाइबिल या चर्च दोनों में फेथ नहीं है तो #Atheist का जन्म हुवा, जिसका मूल भी संभवतः रोमन सभ्यता मे ही छुपा होगा ।
#तारिक_फ़तेह साहब इस्लाम को सेकुलरिज्म अपनाने की सलाह तो दे रहे हैं , लेकिन क्या इस्लाम ने, जिस तरह ईसाइयत ने अपने खुद के हाथों ख़त्म किये हुए रोमन सभ्यता को कहीं न कहीं सहेजकर रखा था , जिसको समय के साथ उसने अपनी रक्षा हेतु इस्तेमाल कर लिया ; क्या इस्लाम ने भी अरब और बबिलोनिया की महान सभ्यता का कुछ अंश भी बचाकर रखा है कि वो उन उदार दर्शनों को पुनः अपनाकर खुद में सेकुलरिज्म को समाहित कर सके ??
---------------------------------------------------------------------------------- ------- #तरेक फतेह ने इस्लाम को सेकुलरिस्म अपनाने की राय दी है इन्डोनेशिया के हवाले से / लेकिन क्या ये संभव है ? आज से 400 साल पहले ईसाइयत का भी यही हाल था ।
ब्रूनो को चर्च 1600 AD में 7 साल की सजा के बाद आग में जलाकर मार डालने का आदेश देता है , आज उसे विज्ञानं का शहीद कहते हैं । उसका गुनाह क्या था ?
उसने कहा कि - "पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है , जोकि होली बाइबिल में लिखे हुए verse के खिलाफ था ।
फिर जब कैथोलिक और प्रोटोस्टेंट ईसाई वर्ग आपस में फेथ के नाम पर एक दूसरे का क़त्ल करने लगे तो Act of Tolerance 1669 में लाया गया , अर्थात #सहिष्णुता_का_कानून । इसका मतलब हुवा कि चलो भाई माना कि फेथ के नाम पर एक दूसरे को पसंद नही करते , गर्दनें कत्ल रहे हो , तो ये करना बन्द करो। एक दूसरे को सहन तो करो , बर्दाश्त तो करो ।
फिर गलिलियो ने ब्रूनो के हेलियोसेंट्रिक थ्योरी को फिर से आगे बढ़ाया तो चर्च ने फिर आपत्ति की । उसने चर्च से सुलहनामा कर लिया तो उसको आग में जलाकर तो नही मारा लेकिन आजीवन गृहबन्दी बना दिया ।
अंत में मामला फिर भी नही समहला तो उन्होंने एक शब्द अपनी रोमन सभ्यता से उधार लिया #सेकुलरिज्म , अर्थात चर्च और बाइबिल शासन में दखल नहीं देगा । बाद में लिबर्टी और बढ़ी तो कुछ लोगों ने कहा कि मुझे बाइबिल या चर्च दोनों में फेथ नहीं है तो #Atheist का जन्म हुवा, जिसका मूल भी संभवतः रोमन सभ्यता मे ही छुपा होगा ।
#तारिक_फ़तेह साहब इस्लाम को सेकुलरिज्म अपनाने की सलाह तो दे रहे हैं , लेकिन क्या इस्लाम ने, जिस तरह ईसाइयत ने अपने खुद के हाथों ख़त्म किये हुए रोमन सभ्यता को कहीं न कहीं सहेजकर रखा था , जिसको समय के साथ उसने अपनी रक्षा हेतु इस्तेमाल कर लिया ; क्या इस्लाम ने भी अरब और बबिलोनिया की महान सभ्यता का कुछ अंश भी बचाकर रखा है कि वो उन उदार दर्शनों को पुनः अपनाकर खुद में सेकुलरिज्म को समाहित कर सके ??
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