Thursday 5 June 2014

पर्यावरण दिवस सिर्फ ट्वीटर और फेसबुक के जरिये मनाना , क्या काफी है ?

पर्यावरण दिवस पर , ट्वीटर और फेसबुक पर ढेरो सारे नारे और आंदोलन आज चलाये गए / लेकिन जिन लोगों के पास ट्वीटर/ फेसबुक  अकाउंट है , वो क्या वाकई पर्यावरण के लिए कुछ योगदान देते हैं ?? मेरा ख़याल है, और  आप लोग सहमत होंगे,  कि नहीं , क्योकि इन लोगों के पास न तो समय है , और न ही सुविधा और आवश्यक मूलभूत अवसर उपलब्ध हैं / हमारे शाश्त्रों में वेदों के बाद,  आरण्यक जैसे शाश्त्रों की रचना सिर्फ इसीलिये की गयी , की आरण्यक यानि जंगल , यानि प्रकृति की सुरक्षा और उनके संरक्षण हेतु, आवश्यक नियम और सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन की जिम्मेदारी उठाया जा सके / हमारे ऋषि मुनि , जो सामाज के लिए नीति और कानून बनाते थे वे जंगलों में ही अपने आश्रम बनाते थे , और वहीँ से समाज को शिक्षित और दीक्षित करते थे / आज उन्हीं के वंशज "आदिवासी' / scheduled  tribes के नाम से जाने जाते हैं /
   देश के पर्यावरण को "क्षिति जल पावक गगन समीरा " , ये पांच तत्व हैं जो जीवधारकों के शारीरिक निर्माण के लिए आवश्यक है , और यही पंच तत्व पर्यावरण के पर्यायवाची , और आवश्यक अंग है / इनकी सुरक्षा ट्वीटर / Fb  पर आंदोलन चलाने वाले लोग नहीं करते , वे तो इनका नुक्सान ही कर रहें है , अपने लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों और घर के लिए ऐयाशी पूर्वक जीवन बिताने के लिए , प्रकृति को नष्ट कर कंक्रीट के जंगल खड़े करके , घरो में A C लगाकरके , और जनरेटर और महगी गाड़ियों के द्वारा कार्बन एमिशन बढाकर और पर्यावरण की गर्मी बढ़ा करके ( ग्लोबल वार्मिंग ) / अगर देश और विश्व के पर्यावरण की कोई रक्षा कर रहा है , तो वो है इस देश के  किसान , गावों में निवास करने वाला गंवार , और तृतीय विस्व के देशों में निवास करने वाले अर्धशिक्षित , परन्तु विद्यावान लोग , जो -क्षिति जल पावक गगन समीरा का  , न सिर्फ दुरूपयोग रोकते हैं बल्कि उसको सुरक्षित , संरक्षित , और उसको नवनिर्मित में भी महत्वपूर्ण योगदान करते हैं / 

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