Saturday 9 August 2014

सवर्ण असवर्ण SC / ST भारतीय सामज को तोड़ने के लिए,एक ब्रिटिश क्रिश्चियन षड्यंत्र था , जिसे मैकाले की शिक्षापद्धति से शिक्षित , हीन भावना से ग्रसित भारतीयों ने , और बाद में वामपंथी लेखकों ने , वर्ग - विरोध (क्लास वॉर ) के मार्क्सिस्ट सिद्धंातों के खाद पानी से सींचा , पुष्पित और पल्लवित किया / जहाँ के भगवन शिव, राम और कृष्ण कृष्ण ही श्याम रंग के हों वहां , वर्ण (चमड़ी के रंग ) को आधार बना कर , समाज ५० हज़ारों साल की अनवरत संस्कृति क्या जीवित रह सकती है ??? रंगभेद की नीति यूरोपीय च्रिस्तिअनों की थी , जिसका गवाह समस्त विश्व है / वही रंगभेद के सिद्धांत को आधार बनाकर वर्ण शब्द की गलत व्याख्या कर , उन्होंने समाज को बाटा , ये मिथ फैलाया की शूद्रों को ब्राम्हणों ने शिक्षा से वंचित किया / १५० साल में भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करके बेरोजगारों की फ़ौज खड़ी की , और यही बेरोजगार जब मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण , बेरोजगारी और गरीबी के कारण , आधुनक शिक्षा से वंचित हो गया , तो उन्हीं को समाज में एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करके सवर्ण और असवर्ण की खाई रची गयी , और भारत वर्ष आज तक उस खाई से निकलने में सक्षम नहीं हो पाया है /

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