Monday 2 June 2014

yadav vansh ka sarvnash

कृष्ण जी ने कंस जैसे , जनता के प्रति अत्याचारी राजा को यमलोक पहुचाने के बाद , जब अपने पिता वासुदेव के नेतृत्व में नया राज्य स्थापित किया , तो मथुरा से  द्वारिका तक अपनी प्रजा को स्थान्तरित करने , और उनकी कालयवन जैसे विदेशी आक्रान्ताओं से उनकी सुरक्षा करने  के उपरान्त भी , जब उनको लगा कि यदुवंशी सामंत और राज्य और सैन्य अधिकारी , जनता को रक्षित करने के बजाय , स्वयं के लिए ही धन अर्जित करने में जुट गए हैं , और राजकर्तव्य किसको कहते हैं , उसको भूल चुके हैं , तो गीता का सन्देश देने वाले महानायक ने , अपनी यदुवंशी नारायणी सेना को महाभारत के युद्ध में अपने विरोधी पक्ष दुर्योधन को दे दिया , जिससे इन  अत्याचारी सेनानायकों को , देश और समाज के व्यापक हित को सुरक्षित रखने के लिए , उनको भस्मीभूत किया जा सके /
  यही होने वाला है , मुल्लायम - अखिलेश वंश का , जो अपना कर्त्तव्य भूल गए हैं , और उनके सामंती सेनानायक , और वे स्वयं , ऊल जलूल बक रहें है / अगर २०१७ तक चले तो भी , नहीं चले तो भी , उत्तर प्रदेश की जनता , आने वाले चुनावी महाभारत में इनका और इनकी यादवी सेना का , संहार अवश्य करेगी / और ये आवश्यक हो गया है /

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