Thursday, 24 September 2015

युधिस्थिर ने ऋषि मुनि राजाओ के साथ ही शूद्रों की पूजा की थी /

वेद पहले आये थे कि , शायद सतयुग के पूर्व राजा हरिश्चंद्र के पूर्व / सतयुग के 4000 साल बाद त्रेता आया राम का काल / उसके 4000 साल बाद त्रेता आया कृष्ण और युधिस्थिर का युग /
वेदों की पूंछ पकड़ा ‪#‎बाबा_साहेब‬ ने पुरुषसूक्त को क्षेपक घोसित किया और इसको ब्रांहनों का शूद्रों के खिलाफ एक शाजिश बताया / कैसे ?
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ॥

क्योंकि शूद्र परम्ब्रंह के पैरों से पैदा हुआ , इस लिए कलयुग मे 1946 मे उसकी दशा अछूतो जैसी हो गई है /
वेदों की जिस पूंछ को पकड़कर बाबा ने भारत के अर्थ शक्ति के निरमातों और उनके वंशजों को बाबा ने अपमानित किया , उनको वेदो के रचना के 8000 साल बाद द्वापर मे इंद्रप्रस्थ मे राजसूय यज्ञ के आयोजन के उपरांत समस्त ऋषि मुनियों के साथ ‪#‎शूद्रों‬ की भी पूजा करके विदा करते हैं /
श्री मद भागवत के द्वितीय खंड के दशम सकन्ध के 75 वे अदध्याय के 25वे श्लोक मे वर्णित है :
"अथर्त्वीजों महाशीलाह सदस्या ब्रांहवादिनह /
ब्रमहक्षत्रियविटशूद्रा राजानों ये समागताः //
अर्थात : राजसूय यज्ञ ने जितने लोग आए थे - परम शीलवान ऋत्विज , ब्रम्हवादी सदस्य , ब्रामहन क्षत्रिय वैश्य ‪#‎शूद्र‬ राजा देवता , ऋषि , मुनि - इन सबकी पूजा महाराज युधिष्ठिर ने की /
कहाँ एक चक्रवर्ती राजा शुदों की पूजा कर रहा है द्वापर मे , कहाँ उसके 8000 साल पहले ही बाबा ने बोला कि - क्योंकि शूद्र पुरुष यानि ब्रम्ह के पैरो से पैदा हुआ इसलिए ‪#‎कलयुग‬ मे शूद्रों को नीचकर्म करने का काम दिया गया था/
धन्य हो बाबा /
बंटाधार कर दिये देश का /
नरकगामी बनो /

2 comments:

  1. मनुस्मृति में यहाँ तक दर्शाया गया है की आपत्ति काल में ब्राह्मण शुद्रो से भी अध्धयन कर सकते है

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  2. मनुस्मृति में यहाँ तक दर्शाया गया है की आपत्ति काल में ब्राह्मण शुद्रो से भी अध्धयन कर सकते है

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