धन ले गए , धर्म ले गए , निर्धनता
और रेलीजन दे गए /
बाँटे जाति धर्म मे हमको विद्या ले गए साक्षरता दे गए // भाग – 1
अभी शशि थरूर ने ब्रिटेन को भारत मे 200 साल
के लूट का, और देश को जातियों और धर्म मे बांटने का दोषी घोसित किया और बोला कि कम से कम सोरी तो बोल
दे भाई , न लौटा लूटा हुआ माल / इस लूट का भारत के समाज पर क्या
प्रभाव पड़ा , अभी इसका विश्लेषण विद्वानों द्वारा होना है /दलित चिंतक और वामपंथी , जो अब तक हर बात के लिए ब्रामहानिस्म और मनुस्मृति को दोषी ठहराते आए हैं
, उनका रुख इस भासण के
समर्थन या विरोध मे अभी सामने नहीं आया है /
लेकिन आज एक और बात कि तरफ आपका आकर्षण करना चाहूँगा / और वो
है शिक्षा और विद्या :
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------बहुत
से लोगों का मानना है कि भारत अंग्रेजों के आने के पहले अशिक्षित था / चलिये उन्हीं
की बात मान लेते हैं / यदि निरक्षर भारत 1750 तक विश्व की 25 % जीडीपी का उत्पादन करता था , और शिक्षित
अंग्रेज़ मात्र 2% का , तो क्या हमको ऐसी साक्षरता को आगे जारी
रखना चाहिए ?
अधिकांश दलितों का मानना है कि अंग्रेज़ उनके माई बाप थे / एक
है दलित चिंतक @चन्द्र भान प्रसाद , जो पता नहीं अपने बाप का जन्मदिन मनाते हैं कि नहीं लेकिन मैकाले का जन्म
दिन बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं / और अङ्ग्रेज़ी माई को रोज दिया बत्ती
और लोहबान सुलगाकर पूजा करते हैं श्रद्धा के साथ, क्योंकि वो नॉलेज की देवी है /
1931 मे महात्मा गांधी जब भारत से ब्रिटेन गए गोलमेज़ सम्मेलन
मे , तो एक पब्लिक मीटिंग मे उन्होने उद्घोष किया कि – “ भारत आज जितना शिक्षित
है , आज से 50 या 100 साल पूर्व इससे ज्यादा शिक्षित था / अङ्ग्रेज़ी
शासकों ने उस शिक्षा व्यवस्था को जडमूल समेत नष्ट कर दिया /”
इस बात पर ढाका विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चानसलर फिलिप होडतोग
ने कहा कि –“ मिस्टर गांधी ये हम ही थे जिनहोने
भारत के आम जनता को एडुकेशन दिया , इस लिए आप या तो अपनी बात सिद्ध करें या वापस
लें / “ गांधी जी ने आश्वासन दिया कि अगर वे गलत निकले तो ज्यादा प्रचार प्रसार के
साथ अपनी ही बात का खंडन करेंगे /
ये विवाद लगभग 8 साल चला लेकिन गांधी जी अपनी राय पर दृढ़ रहे
/
अब जो असली मुद्दे कि बात ये है कि जब भारत मे क्रूर बर्बर और
अशिक्षित जाहिल तुर्क बख्तियार खिलजी नालंदा विषविद्यालय के पुस्तकालय को आग लगाया
, तो उसको नष्टमे होने 3 महीने का लगा / मेरा प्रश्न है कि जिस समकाल मे हजारों साल से सुरक्शित
ग्रंथालय के ग्रन्थों को जलने मे 3 महीने लग
गए , तब ब्रिटेन मे शिक्षा कि क्या स्थिति थी ?
उससे भी आगे जाकर मैं दावे के साथ कहता हूँ कि ब्रिटेन मे 19वीं
शताब्दी के पूर्व शिक्षा आम जन को उपलब्ध नहीं थी , जब तक की अंग्रेजों ने भारत
से से “मद्रास सिस्टम ऑफ एडुकेशन” को चुराकर
अपने यहाँ लागू किया और शिक्षा को आमजन तक पहुंचाया /
सहमति या आलोचना के इंतजार मे /
त्रिभुवन सिंह
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