Wednesday, 8 July 2015

पहली बार शैडयूल्ड कास्ट का नाम तब सुना जब मेडिकल कॉलेज मे दाखिला हुआ / उस समय इतनी समझ नहीं थी कि ये क्या होता है , लेकिन संसाधन के लिहाज से मुझमे और उनमे कोई विशेष फर्क नहीं था / हाँ उनको कुछ वजीफा मिलता था SC होने के नाते मुझे नेशनल स्कॉलर्शिप मिलती थी मेरी हाइ स्कूल मे मेरिट के नाते / तब मेरे समझ  के अनुसार या ग्रामीण परिवेश के नाते इतना ही समझ आता था कि SC माने शूद्र / 
अभी मेरे एक मित्र जो कि SC हैं, लेकिन शहर मे पार्षद हैं , उनसे कई बार जाति क्या  है , वर्ण क्या है , इस पर चर्चा हुई है / मेरी अवधारणा से प्रभावित होकर उन्होने अपने बेटे के इंजीन्यरिंग के प्रवेश परीक्षा मे जाति प्रमाणपत्र नहीं लगाया / बेटे की रैंक जो आई , उसके अनुसार अगर उन्होने जाति प्रमाणपत्र लगाया होता तो उसको अच्छे कॉलेज मे दाखिला अवश्य मिल जाता , लेकिन उनही के संवर्ग के किसी निचले पायदान पर खड़े किसी अन्य भाई का हक़ मारा जाता / उन्होने हार नहीं मानी है , बोले कि एक साल और तैयारी  कर लेगा मेरा बेटा , लेकिन अब मुझे सरकारी भीख नहीं लेना / उनके भाव और आत्मसम्मान को मेरा अभिनन्द्न /
 जाति क्या है ? क्या इसका भी कोई कानून है ? भारतीय संस्कृत ग्रन्थों मे तो उल्लेख नहीं मिलता / फिर कैसे ये सरकारी प्रमाणपत्र बांटे जा रहे हैं ? जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़का कर लोग सत्ता के गलियारे मे दाखिल हो रहे है, ऊंचे ऊंचे पदों पर बैठे हैं लोग / अभी उ प्र मे सुना है कि ओबीसी कोटे मे कुल 89 सीट मे 54 यादव ही उस पद के काबिल पाये गए ?
आइये देखें जरा कि किस ग्रंथ के ये जाति के नियम कानून बने ?  

" Unfailing law ऑफ caste ' : H H Risley 1901

रेस या नश्ल एक ऐसा शब्द है जिसका समानर्थी शब्द संस्कृत या हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं (हो तो बताएं ), और जब शब्द ही नहीं है तो वो संस्कृति भी भारतीय सभ्यता का अंग नहीं है / जैसे २० वर्श पूर्व के शब्दकोशों में स्कैम शब्द नहीं मिलता , क्योंकी सरकारी बाबू और नेता के चोरी चकारी का स्तरहीन चोरी को घोटला जैसे शब्दो से काम चला लिया जाता था / लेकिन जब १ लाख ७५ हजार जैसे स्तरीय डकैतियां होने लगी ती स्कैम शब्द का इजाद हुवा/ इसी तराह race Science का जन्म भी १८ वीं शताब्दी में सफ़ेद चमडी के युरोपियन की पूर विश्व में कोलोनी बनने और उस शासन को justify करने से शुरू हुवा / जिसका जन्म डार्विन के survival ऑफ फिटेस्ट से होता है और उसका justification Rudyard Kipling's "White Man's Burden" से खत्म होता है / race साइंस के तहत एन्थ्रोपॉलॉजी अंथ्रोपोमेट्री क्रानिओमेट्री जैसे विषय आते हैं , जिनका प्रयोग सफ़ेद चमदी वाले इसाई विद्वानों ने रेसियल सुपेरियोरिटी और इनफेरियोरिटी के लिये किया हैं / विश्व की विभिन्न देशों मे ब्राउन और काले रंग के लोगों के ऊपर अपने अत्याचारों और लूटपाट का justification करने के लिये , इस साइंस ने उनको नैतिक बल दिया / बहुत ज़ोर शोर से इस इस साइंस का प्रयोग दूसरे विश्वयुद्ध तक किया गया / इधर मैकसमुल्लर जैसे विद्वानों ने जब ये अफवाह फैलाई की आर्य बाहर से आये थे और संस्कृत भाषा को इंडो इरानिनन इंडो युरोपियन और इंडो जर्मन सिद्ध कर दिया गया और स्वस्तिक जर्मनी के सिपाहियों की भजाओं पर शुशोभित हो गया । लेकिन मैक्समुल्लेर के झूंठ खामियाजा यहूदिओं को अपने खून से चुकाना पड़ा । और जब दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मन और युरोपियन इसाइयों ने शुद्ध आर्य खून के नाम पर ६० लाख यहूदियों और ४० लाख जिप्सियों को हलाक कर दिया तो उनेस्को ने race साइंस के आधार पर रेसियल सुपेरियोरिटी और इनफेरियोरिटी कलर और अंथ्रोपोमेट्री और क्रानिओमेट्री जैसे साइंस को खारिज कर दिया / दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी और यूरोप की पुस्तकों से आर्य शब्द और उस थ्योरी को सायास मिटाया गया /अब भारत की कहानी देखिये १९०१ मे H H Risley ने अंथ्रोपोमेट्री और क्रानिओमेट्री के अधार पर मात्र 5000 लोगों पर रिसर्च करके एक " Unfailing law ऑफ caste ' बनाया और उसके आधार पर एक लिस्ट तैयार की / क्या है ये law ? इस law के अनुसार भारत में किसी व्यक्ति या उसके वर्गसमूह की सामाजिक हैसियत उसकी नाक की चौडाई के inversely proportinate होगी / अर्थात् जिसकी नाक पतली वो समाजिक हैसियत में ऊपर और जिसकी चौडी उसकी समाजिक हैसियत नीचे / 1901 की जन गणना में यही unfailing law ऑफ caste के आधार पर जो लिस्ट बनी वो अल्फाबेटिकल क्रम में नहीं है / वो नाक की चौडाई के आधार पर तय किया गए समाजिक हैसियत यानी सोसियल Hierarchy के आधार पर क्रमबद्ध हैं / उसने 1901मे 2378 caste यानी जातियों और 42 races की लिस्ट तैयार की / इस लिस्ट में जो caste ऊपर दर्ज है वो हुई 

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