जात- पांत , से जात - बिरादरी तब हुयी , जब इस्लाम का भारत में प्रवेश हुवा
/ और लोग इस्लाम के प्रति मुहब्बत से लपक के मुसलमान बन गए ( अरे कोई
मुहबत से अपनी जड़ को काटता है क्या ?) / जात - बिरादरी और जात - पांत को
विस्तारित किया जाय , तो केवट - राम संवाद से ही आप इसको समझ सकते हैं /
निषाद कुटुंब , जो कि जलमार्ग के नियंत्रक यानि शाशक हुवा करते थे ,
रामचन्द्र जी जब उससे वन गमन के समय श्रृंगबेरपुर में कहते हैं कि भाई मुझे
गंगाजी के पार उतार दो - तो केवट -" मांगी नाव न केवट आनी , कहै तुम्हार
मर्म मैं जानी " / फिर जब गंगा पार उतर के राम चन्द्र जी संकोच करते हुए
उतराई के आवाज में ,,मुद्रिका देने लगते हैं , तो वो कहता है --" हे राम
हमारी तुम्हारी जात एक है , मैं इस सुर सरि का खेवैया हूँ , और आप भवसागर
के / मैं आप से कैसे उतराई ले सकता हूँ ?? हाँ आप ये जरूर ध्यान रखियेगा कि
जब मेरा भवसागर पार करने का मौका आये तो , मुझसे उतराई मत लीजियेगा / यानी
जात का मतलब --कुटुंब और एक ख़ास पेशा / तो पेशा तो बदला जा सकता था,
कुटुंब को छोड़े बिना भी /
फिर ईसाई आये , उन्होंने संस्कृत पढ़ा ,और जो तालव्य का त ..और मूर्धन्य के ट का भेद नहीं समझते और तुमको को टुमको बोलते थे , वे संस्कृत मे विद्वता हासिल किए , और उनके शिष्यों ने उनसे इंग्लिश में, संस्कृत का ज्ञान प्राप्त किया / और उन विद्वानों ने caste को हिंदी अनुवाद जाति में किया,तो गांधी गांधी होते हुए भी आज तक तेली हैं , आंबेडकर आंबेडकर होते हुए भी आज तक महार है , और अखिलेश मुख्यमंत्री होते हुए भी अहीर हैं / तो अब आप पेशा भले ही बदल ले , लेकिन जाति का दाग आप पिछवाड़े चस्पा ही रहेगा /
वैसे अमरकोश के अनुसार जाति का मतलब -" वन औसधि , तथा सामान्य जन्म" भर है /
फिर ईसाई आये , उन्होंने संस्कृत पढ़ा ,और जो तालव्य का त ..और मूर्धन्य के ट का भेद नहीं समझते और तुमको को टुमको बोलते थे , वे संस्कृत मे विद्वता हासिल किए , और उनके शिष्यों ने उनसे इंग्लिश में, संस्कृत का ज्ञान प्राप्त किया / और उन विद्वानों ने caste को हिंदी अनुवाद जाति में किया,तो गांधी गांधी होते हुए भी आज तक तेली हैं , आंबेडकर आंबेडकर होते हुए भी आज तक महार है , और अखिलेश मुख्यमंत्री होते हुए भी अहीर हैं / तो अब आप पेशा भले ही बदल ले , लेकिन जाति का दाग आप पिछवाड़े चस्पा ही रहेगा /
वैसे अमरकोश के अनुसार जाति का मतलब -" वन औसधि , तथा सामान्य जन्म" भर है /
Tribhuwan Sir, I am following you since so many days, but because of your privacy settings i am not able to comment. please enable comments for me. I really liked the eye opening posts by you.
ReplyDeleteThank you.
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DeleteKAUSHAL DEV I have changed the setting .Now you can comments . I am sorry for inconvinience
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