A UN ANSWERED QUESTION BY HISTORIAN AND SOCIA:L SCIENTIST OF INDIA ???
नवीनतम उपलब्ध डेटा के अनुसार , NDA सरकार के दौरान विकास दर ८.४% थी , जिसने ६२ मिलियन (६.२ करोड़ ) नौकरियां ६ साल के शाशन के दौरान पैदा की / उसी डेटा के अनुसार UPA सरकार के शासन काल के अंत में विकास दर मात्र ४.८% रह गयी , और इस सरकार ने १० सैलून में मात्र १५ मिलियन लोगों को नौकरियां दे पाई / अब अगर इसको प्रतिशत में , दर्शाया जाय तो लगभग विकास दर में ९०% घटोत्तरी की वजह से नयी नौकरियां प्रदान करने में कितनी कमी आयी, आप खुद निर्णय करें /
अब एक और डेटा को पढ़ें और उस पर विचार करें / Angus maddison के अनुसार १७५० में भारत का GDP , पुरे विश्व की जीडीपी का २५% था , और उस समय ब्रिटेन और अमेरिका , दोनों की मिलाकर कुल GDP विश्व की GDP का मात्र २% था / ब्रिटेन के लूट और तानाशाही शाशन के कारन , भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पूर्णतः नष्ट हो गयी / यद्यपि भारत कृषि प्रधान देश था परन्तु , १८३० तक भारत , यूरोप को मात्र अनाज और मसाले ही नहीं , सूती वस्त्र , मलमल , पोर्सेलिने , लोहा और स्टील , लाख , घी , और हीरे जवाहरात भी निर्यात करता था / १९०० आते - आते भारत की GDP मात्र २% बची , और इसी को प्रतिशत में व्यक्त करें तो भारत का गृह व्यापर १५० सालों में १२००% घट गया , और इसका शक्तिशाली गृह उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गया / भारत , जो २००० सालों से ज्यादा दिनों से एक निर्यातक आर्थिक राष्ट्र था, मात्र १५० सालों में , एक आर्थिक दिवालिये और आयातक राष्ट्र में बदल गया / एक डेटा के अनुसार १७५० में जहाँ भारत और ब्रिटेन की प्रतिव्यक्ति आय, और पर व्यक्ति industrilisation लगभग बराबर था , १९०० आते आते उसमें भारी परिवर्तन आया / मात्र १५० सालों में भारत की per capita deindustrialisation ७००% की गिरावट आयी /
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न ???
भारतीय घरेलू उद्योग , जिसने हजारों सालों से लोगो को रोजगार प्रदान करता था , और उनके टेक्निकल skill के कारन भारत २००० सालों से ज्यादा एक महान आर्थिक शक्ति , और निर्यातक राष्ट्र हुवा करता था , इस घरेलू व्यापर के नष्ट होने से कितने लोग बेरोजगार हुए , वे कौन लोग थे , और उनकी संतानों का क्या हुवा ??? जो हज़ारों वर्षों से भारत के आर्थिक इतिहास की रीढ़ हुवा करते थे , और अपने तकनीकी ज्ञान का प्रयोग कर जीवन यापन करते थे , वो कौन थे और उनका क्या हुवा ??? इस पर भारत के इतिहासकार और समाज शाश्त्री मौन हैं /
नवीनतम उपलब्ध डेटा के अनुसार , NDA सरकार के दौरान विकास दर ८.४% थी , जिसने ६२ मिलियन (६.२ करोड़ ) नौकरियां ६ साल के शाशन के दौरान पैदा की / उसी डेटा के अनुसार UPA सरकार के शासन काल के अंत में विकास दर मात्र ४.८% रह गयी , और इस सरकार ने १० सैलून में मात्र १५ मिलियन लोगों को नौकरियां दे पाई / अब अगर इसको प्रतिशत में , दर्शाया जाय तो लगभग विकास दर में ९०% घटोत्तरी की वजह से नयी नौकरियां प्रदान करने में कितनी कमी आयी, आप खुद निर्णय करें /
अब एक और डेटा को पढ़ें और उस पर विचार करें / Angus maddison के अनुसार १७५० में भारत का GDP , पुरे विश्व की जीडीपी का २५% था , और उस समय ब्रिटेन और अमेरिका , दोनों की मिलाकर कुल GDP विश्व की GDP का मात्र २% था / ब्रिटेन के लूट और तानाशाही शाशन के कारन , भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पूर्णतः नष्ट हो गयी / यद्यपि भारत कृषि प्रधान देश था परन्तु , १८३० तक भारत , यूरोप को मात्र अनाज और मसाले ही नहीं , सूती वस्त्र , मलमल , पोर्सेलिने , लोहा और स्टील , लाख , घी , और हीरे जवाहरात भी निर्यात करता था / १९०० आते - आते भारत की GDP मात्र २% बची , और इसी को प्रतिशत में व्यक्त करें तो भारत का गृह व्यापर १५० सालों में १२००% घट गया , और इसका शक्तिशाली गृह उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गया / भारत , जो २००० सालों से ज्यादा दिनों से एक निर्यातक आर्थिक राष्ट्र था, मात्र १५० सालों में , एक आर्थिक दिवालिये और आयातक राष्ट्र में बदल गया / एक डेटा के अनुसार १७५० में जहाँ भारत और ब्रिटेन की प्रतिव्यक्ति आय, और पर व्यक्ति industrilisation लगभग बराबर था , १९०० आते आते उसमें भारी परिवर्तन आया / मात्र १५० सालों में भारत की per capita deindustrialisation ७००% की गिरावट आयी /
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न ???
भारतीय घरेलू उद्योग , जिसने हजारों सालों से लोगो को रोजगार प्रदान करता था , और उनके टेक्निकल skill के कारन भारत २००० सालों से ज्यादा एक महान आर्थिक शक्ति , और निर्यातक राष्ट्र हुवा करता था , इस घरेलू व्यापर के नष्ट होने से कितने लोग बेरोजगार हुए , वे कौन लोग थे , और उनकी संतानों का क्या हुवा ??? जो हज़ारों वर्षों से भारत के आर्थिक इतिहास की रीढ़ हुवा करते थे , और अपने तकनीकी ज्ञान का प्रयोग कर जीवन यापन करते थे , वो कौन थे और उनका क्या हुवा ??? इस पर भारत के इतिहासकार और समाज शाश्त्री मौन हैं /
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