इसाई मिशनरियों और शासन में ऊपरी तरह से तारतम्य नही था , लेकिन आतंरिक रूप से उनका उद्देश्य एक ही था - हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन , भारत को लूटना , उसके घर घर पसरे गृह उद्योगों को नष्ट कर भारतीय समृद्धि को नष्ट कर इसे मेनचेस्टर से बने कपड़ो का एक बाजार बनाना , तथा हिन्दू समाज को छोटे छोटे टुकड़ों में बांटना।
यदि इतिहास को ठीक से देखें तो ब्रिटिश शासन ने 1872 में जब जनगणना की तो बनवासी भारतीयों को एनिमिस्ट यानि प्रकृति पूजक या जीव जंतुओं का पूजक के रूप में अलग कर उनको भविष्य में ईसाइयत के लिए टारगेट किया जा सके । और वही हुवा भी । स्वतंत्र भारत में उनको ST के नाम से चिन्हित कर मूल हिन्दू समाज से अलग पहचान दी गयी । क्या पूरा हिन्दू समाज प्रकृति पूजक या जीव जंतु पूजक नही है ?
1991 तक भारत में हिन्दुओ की जनगणना 4 वर्ण के रूप में होती रही ।
लेकिन यदि हिन्दू समाज मात्र 4 वर्णों या वर्गों में रहता तो इसको विभाजित कर इसायत की ऒर लक्षित करना आसान होता ?
शायद नहीं ।
इसीलिये 1901 में 3 वर्ण ब्रम्हाण क्षत्रिय वैश्य 3 वर्णों को 3 जातियों के रूप में चिन्हित किया गया और भारत के 2000 वर्षो से अर्थजगत के निर्माण करता रहे शूद्र कर्मी कुल परिवारों को हजारों जातियों में चिन्हित कर के भारत की आधुनिक जाति व्यवस्था का निर्माण होता है । इस तरह 4 वर्णों को हजारों अलग अलग जाति समूहों में चिन्हित करने में सफल रहे।
दूसरी तरफ इन बेरोजगोर लोगों का एक विशाल जान समूह 19 शताब्दी के उत्तरार्ध और 20वीं शताब्दी के शरुवात में 22 करोड़ जनसँख्या में से 2.5 से 3 करोड़ लोग भूंख से मर जाते हैं । और बाकी बचे लोग दयनीय स्थिति में जीने को बाध्य होते हैं। वरना कोरी और कोली जो सम्मानित वैश राजपूत की वंशज थे , जो बुनकरी का पेशा करते थे , उनको आज SC में किस तरह शामिल किया गया ?
या मुसहर जो नमक का उत्पादकर्ता था उसकी आज समाज में सबसे ज्यादा जर्जर स्थिति कैसे होती ?
खैर 1921 की जनसंख्या के समय एक नए शब्द को बिना परिभाषित किये जनगणना में स्थान दिया जाता है ?
1928 में साइमन कमीशन ने डॉ आंबेडकर को इन्ही डिप्रेस्ड क्लास को परिभाषित करने का काम दिया गया ।
1932 में डॉ आंबेडकर ने लोथिअन कमिटी की रिपोर्ट सौंपते हैं जिनमे वे डिप्रेस्ड क्लास को अछूत घोसित करते हैं , और छूने योग्य व्यक्ति को भी अछूत घोसित करते हैं - Notional Untouchable ।
फिर 1936 में ऑप्रेससेड क्लास एक्ट आता है और इनकी सचेदुलिंग होती है यानि SC का जन्म ।
हमारे संविधान निर्माताओं को ये इसाई शाजिश समझ नही आई ।
परंतु परिणाम आपके सामने है ।
सारे ST को अलग चिन्हित कर उनको इसाई बना चुके है ।
SC इनके दूसरे टारगेट हैं और वहां पर भी वो सफल होते आये हैं। ढेर सारे तथाकथित दलित चिंतक इनके गूढ़ पुरुष यानि जासूस हैं ।
अगला टारगेट उनके OBC हैं जिसको BP मंडल ने मात्र 5 महीने के कठोर मेहनत से पूरे भारत का सर्वेक्षण करके तैयार किया था जिसमे कई राजघराने भी आज OBC में शामिल हैं ।