भारत तो देश ही मानसिक गुलामों का है / यदि किसी भारतीय संस्कृति को गौरांग
प्रभु लोग न अपना लें , तब तक हम उसको कोई महत्व नहीं देते /
जैसे योग जब योगा और क्रिश्चियन योगा मे परिवर्तित नहीं हुआ भारतीय बुद्धूजीवी उसको मान्यता देने को तैयार नहीं हुये /
उसी तरह वर्ण व्यवस्था को जाति मे परिवर्तित करने वाले गौरांग प्रभुओं ने कास्ट को आपके ऊपर लाद दिया तो आप उसके लिए मनुस्मृति को जला रहे हैं / रिसले ने खुद लिखा कि भारत मे कास्ट को अनुवाद करने लाइक कोई शब्द नहीं है / अंत मे उसने जात या परिवार को कास्ट मे तब्दील किया , जो आज भारत के संविधान मे सन्निहित है /
इसी संदर्भ मे एक और उद्धरण प्रस्तुत है --
आप जानते हैं अमेरिका इमिग्रंट्स लोगों का देश है , कितने देश और संस्कृति वाले लोग वहाँ रहते हैं ,उनकी गिनती मैं नहीं कर सकता लेकिन सैकड़ो मे तो गिना ही जा सकता है / ये सब अलग अलग एथिनिक और संस्कृति को सुरक्शित और संरक्षित रखते थे और आज भी रखे हुये हैं /
अमेरिका के बुद्धजीवियों को अमेरीकन pride विकसित करने मे ये बहुत बड़ी बाधा लगती थी - इसका उपाय उन्होने पिछले शताब्दी मे खोजा और उसका एक नाम दिया - #Melting_Pot Theory / यानि जैसे एक वर्तन मे भांति भांति तरह की चीजे रखकर उसको उबालिए तो जो उत्पाद बनेगा उसमे सब चीजे अलग अलग पहचान मे न आकर एक ही तरह की दिखेंगी / आल अमेरीकन alike -- सभी अमेरीकन एक ही तरह के लोग हैं / ये अकादमिक बहस वहाँ एक शताब्दी तक चली / लेकिन ये विफल रही /
अब उन्होने एक नई सामाजिक सिद्धान्त खोज निकाला है - #Bowl_Salad थियरी / अर्थात multiculturalism या Cultural Mosaic थेओरी / जिस तरह एक बर्तन मे विभिन्न तरह के सब्जियों और sprouts को नमक प्याज मिरचा लहसुन आदि मिलाकर एक सलाद तैयार किया जाता हैं जिसमे सब एक दूसरे से मिले जुले हुये भी हैं और उनकी पहचान या integrity भी बनी हुयी है / यानि सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देकर उन्होने इस नए सामाजिक सिद्धान्त की रचना किया है अपने लिए /
इस नए सिद्धान्त की तुलना वहाँ के अकादमिक विद्वान भारतीय कास्ट सिस्टम से करते हैं /
ज्ञातव्य हो कि जात व्यवस्था की पिछले 150 साल से इसलिए आलोचना करते हैं कि endogamy जैसी चीज उनको समझ मे नहीं आती थी / और जिस आधार पर उन्होने कास्ट सिस्टम मे बांटा उसके अनुसार ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्यों मे भी सैकड़ो जातियाँ निकलती क्योंकि उनके यहाँ भी हर जात यानि कुल या वंश वृक्ष की शादियों की गोत्र और अन्य नियमों के अनुसार हर जात मे नहीं हो सकती /
ज्यादा विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे लिखी लिंक्स पढ़ें :
1-https://en.wikipedia.org/wiki/Salad_bowl_(cultural_idea)
2- http://www.hoover.org/research/melting-pots-and-salad-bowls
3- India's Caste System and American Pluralism - University of West Florida
uwf.edu/lgoel/documents/3.pdf
जैसे योग जब योगा और क्रिश्चियन योगा मे परिवर्तित नहीं हुआ भारतीय बुद्धूजीवी उसको मान्यता देने को तैयार नहीं हुये /
उसी तरह वर्ण व्यवस्था को जाति मे परिवर्तित करने वाले गौरांग प्रभुओं ने कास्ट को आपके ऊपर लाद दिया तो आप उसके लिए मनुस्मृति को जला रहे हैं / रिसले ने खुद लिखा कि भारत मे कास्ट को अनुवाद करने लाइक कोई शब्द नहीं है / अंत मे उसने जात या परिवार को कास्ट मे तब्दील किया , जो आज भारत के संविधान मे सन्निहित है /
इसी संदर्भ मे एक और उद्धरण प्रस्तुत है --
आप जानते हैं अमेरिका इमिग्रंट्स लोगों का देश है , कितने देश और संस्कृति वाले लोग वहाँ रहते हैं ,उनकी गिनती मैं नहीं कर सकता लेकिन सैकड़ो मे तो गिना ही जा सकता है / ये सब अलग अलग एथिनिक और संस्कृति को सुरक्शित और संरक्षित रखते थे और आज भी रखे हुये हैं /
अमेरिका के बुद्धजीवियों को अमेरीकन pride विकसित करने मे ये बहुत बड़ी बाधा लगती थी - इसका उपाय उन्होने पिछले शताब्दी मे खोजा और उसका एक नाम दिया - #Melting_Pot Theory / यानि जैसे एक वर्तन मे भांति भांति तरह की चीजे रखकर उसको उबालिए तो जो उत्पाद बनेगा उसमे सब चीजे अलग अलग पहचान मे न आकर एक ही तरह की दिखेंगी / आल अमेरीकन alike -- सभी अमेरीकन एक ही तरह के लोग हैं / ये अकादमिक बहस वहाँ एक शताब्दी तक चली / लेकिन ये विफल रही /
अब उन्होने एक नई सामाजिक सिद्धान्त खोज निकाला है - #Bowl_Salad थियरी / अर्थात multiculturalism या Cultural Mosaic थेओरी / जिस तरह एक बर्तन मे विभिन्न तरह के सब्जियों और sprouts को नमक प्याज मिरचा लहसुन आदि मिलाकर एक सलाद तैयार किया जाता हैं जिसमे सब एक दूसरे से मिले जुले हुये भी हैं और उनकी पहचान या integrity भी बनी हुयी है / यानि सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देकर उन्होने इस नए सामाजिक सिद्धान्त की रचना किया है अपने लिए /
इस नए सिद्धान्त की तुलना वहाँ के अकादमिक विद्वान भारतीय कास्ट सिस्टम से करते हैं /
ज्ञातव्य हो कि जात व्यवस्था की पिछले 150 साल से इसलिए आलोचना करते हैं कि endogamy जैसी चीज उनको समझ मे नहीं आती थी / और जिस आधार पर उन्होने कास्ट सिस्टम मे बांटा उसके अनुसार ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्यों मे भी सैकड़ो जातियाँ निकलती क्योंकि उनके यहाँ भी हर जात यानि कुल या वंश वृक्ष की शादियों की गोत्र और अन्य नियमों के अनुसार हर जात मे नहीं हो सकती /
ज्यादा विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे लिखी लिंक्स पढ़ें :
1-https://en.wikipedia.org/wiki/Salad_bowl_(cultural_idea)
2- http://www.hoover.org/research/melting-pots-and-salad-bowls
3- India's Caste System and American Pluralism - University of West Florida
uwf.edu/lgoel/documents/3.pdf