धन से कंफर्ट बढ़ सकता है। सुख शांति आनंद नहीं।
याज्ञवलक्य ने मैत्रियी से पूँछा कि मैं सन्यास लेने जा रहा हूँ आओ तुम्हारा कात्यायनी के साथ बंटवारा कर दूं। मैत्रयी ने कहा कि यदि मुझे पृथ्वी की समस्त संपत्ति मिल जाये तो मेरा जीवन कैसा हो जाएगा? क्या मैं अमर हो जाऊंगी? याज्ञवल्क्य ने कहा नही अमर तो नहीं होओगी। हां जीवन वैसा ही हो जाएगा जैसा कि सम्पन्न लोगों का होता है। मैत्रियी ने कहा कि मुझे परमशान्ति वाला अमरता का ज्ञान दीजिये। ( वृहदारण्यक उपनिषद) तो यही है हजारों सालों वाला विज्ञान जहां तक साइंस कभी भी नही पहुंच सकता। बात हो रही थी कि फिजिकल कम्फर्ट तो आपकी बढ़ जाएगी धन से लेकिन मेन्टल डिस्कोम्फोर्ट भी साथ साथ बढ़ेगा। वही स्ट्रेस का कारण बनेगा। और फिर स्ट्रेस से ब्लड प्रेशर , मॉनसिक अवसाद , डिप्रेशन आदि। इलाज है इसका लेकिन कठिन है। सबसे आसान इलाज है - Don't take yourself too seriously. अहंकार विमूढात्मा कर्ता अहम इति मन्यते।। |
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