Tuesday, 22 March 2016

अब्राह्मिक रिलिजन और वामपंथ किस तरह सनातन से भिन्न है ?

अब्राह्मिक रिलिजन और वामपंथ किस तरह सनातन से भिन्न है ?
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ईसाइयत के पैदा होने के काफी वर्षों बाद भी भारत का व्यापार और संवाद रोमन किंग्स और जनता से होता रहा था ‪#‎सिल्क_रोड‬ के माध्यम से। लेकिन जब इस्लाम का जन्म हुवा तो ईसाइयत और इस्लाम की आपसी घृणा रंजिश और अपने ही गॉड को ही सच मानने , तथा अपने ही रिलिजन और पाक पुस्तक को सच मानने के कारन , एक दूसरे को बर्दाश्त न कर पाने के कारन सिल्क रोड बन्द हो गया।
इसीलिये 1500 में वास्कोडिगामा को भारत तक पहुँचने में घूमकर लम्बे समुद्री यात्रा करके आना पड़ा।
जितने यात्रा वृत्तांत इसके बीच के हैं वे बताते हैं कि यदि आपको पुराने रास्ते से आना पड़ता था तो धर्म परिवर्तन और बिना लुटे हुए भारत आना संभव नहीं था ।
कारण एक ही था कि मेरा गॉड ही सच्चा गॉड है ।
इसलिए पिछले 2000 साल खास तौर पर 1500 साल एक दूसरे की मॉस मर्डर से भरा इतिहास रहा है इनका।
बीच में जब प्रोटेस्टंट और कैथोलिक की दो धाराओं ने जन्म लिया तो फिर जब फेथ के नाम पर ईसाईयों ने एक दूसरे का मॉस मर्डर करना शुरू किया तो 1669 में Act of Intolerance आया कि भाई न पसंद करो कम से एक दूसरे को बर्दाश्त तो करो। ज्ञातव्य हो कि 1600 में चर्च ने ब्रूनो नामक वैज्ञानिक को आग में जलाकर इसलिए मार दिया था क्योंकि उसने कहा कि पृथ्वी सूर्य के चारों और घूमती है ।
बाद में उन्होंने रोमन संस्कृत का शब्द सेकुलरिज्म को लाकर चर्च को राजकार्यों में दखल देने पर रोक लगायी।
लेकिन बर्बरता उनके खून में बसी है इसीलिये दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप के ईसाईयों ने 60 लाख यहूदियों और 40 लाख जिप्सियों की हत्या करते हैं , जिसको हिटलर के माथे पर मढ़कर वो छुट्टी पा लेते हैं।
उसी हिटलर से वामपंथी स्टालिन समझौता करता है पोलैंड पर कब्जा करने के लिए। कितनी हत्याए वो हिटलर के साथ मिलकर करता है , इतिहास के छात्र आसानी से समझते हैं ।
कारण : Intolerance for other viewpoint ।
अब वामपंथी स्टालिन और माओ ने अपने ही साथियों की करोङो में हत्या करवाते है।एकछत्र राज्य करने के लिए। फासिज़्म और क्या होता है ?
भारत के वामपंथियों ने भारत विभाजन के पूर्व मुस्लिम लीग को वैचारिक मदद करते हैं ।इन नेताओ ने इतनी हत्याएं क्यों करवाई ? भय और intolerance for other view point।
सनातन में यदि किसी मुद्दे पर मदभेद हो तो उसको शास्त्रार्थ से सुलझाने की परंपरा रही है । सबसे बड़ा उदाहरण शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच हुवा शास्त्रार्थ है। जब नवयुवक शंकराचार्य वृद्ध मंडन मिश्र को कर्मकांड के लिए चुनौती देते हैं ,ज्ञानकाण्ड की स्थापना के लिए। निर्णायक चुनने की बात आयी तो मंडन मिश्र की पत्नी भारती को चुना आदि शंकर ने ।
शर्त ये थी कि यदि शंकर हारते हैं तो वो शादी करके गृहस्थ बनेंगे और यदि मंडन मिश्र हारते हैं तो उनको गृहस्थ आश्रम छोड़कर शंकर के शिष्यता में सन्यास लेंगे ।
अंत में शंकर विजयी घोसित किये जाते है भारती द्वारा , और मण्डन मिश्र दक्षिण के शंकराचार्य के प्रथम शंकराचार्य बने ।
आज भी सनातन 33 कोटि देवताओ के साथ अल्लाह और जीसस को एडजस्ट कर लेता है , लेकिन क्या बाकी रिलिजन ये कर सकते है ।
खाड़ी देशो में ISIS के नाम पर कत्ल हो रहा है जिसको लिबरल मुस्लिम असली मुस्लमान मानने से इंकार कर पल्ला झाड लेता है ।
लेकिन मात्र 68 वर्ष पूर्व भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान में 22% हिन्दू थे वहां आज मात्र 1% बचे हैं और बांग्लादेश में 35% हिन्दू थे , आज मात्र 7% बचे हैं ।
कहाँ गए वो ?
और यही नहीं वो अपने ही भाइयों का अहमदिया के नाम पर और ईसाईयों का भी कत्ल बलात्कार और धर्मपरिवर्तन कर रहे हैं।
घोड़े के ‪#‎वुद्धिपिशाच_वामी‬ और ‪#‎मरकसिये_बंदरों‬ के मुँह में दही जाता है इस प्रश्न को पूंछने पर।

Sunday, 6 March 2016

"John Perkins ने अपनी पुस्तक Confession of an Economic Hitman में लिखा

"John Perkins ने अपनी पुस्तक Confession of an Economic Hitman में लिखा है कि अब दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्यवादी देश मुझ जैसे व्यक्तियों को अकल्पनीय सैलरी देकर , दुनिया के उन परिवारों को ‪#‎घूस‬ के जरिये वर्ल्ड बैंक और USAID के माध्यम से उनके देशों के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए लोन दिलवाता है , जो उस देश को नियंत्रित करते हैं ।
अब हम तलवार से नहीं लड़ते , बल्कि फर्जी फाइनेंसियल रिपोर्ट , इलेक्शन में फर्जीवाड़ा करके , घूस देकर , ब्लैकमेल करके या सेक्स और मर्डर को अपना हथियार बनाते हैं। खास तौर पर ग्लोबलिज़शन के समय कॉल में बहुत भयानक रूप ले चूका है ।
2005 में लिखा उसने ।
20 साल पहले लिखना चाहता था ।
लेकिन भय या घूस देकर उसका मुंह बन्द करा दिया गया ।
अब आज इसको भारत के सन्दर्भ में देखें।
देश की दो राष्ट्रीय महत्व की घटना लोकसभा के स्पीकर रह चुके ‪#‎संगमा‬ की मौत और उनके भारतीय राजनीति में योगदान की बात होनी चाहिए था ।

या फिर ‪#‎पाकिस्तान‬ से ‪#‎भारत‬ की सीमा में बनाये गए ‪#‎सुरंग‬ के बारे में बात होना चाहिए था ।
लेकिन हर प्राइवेट मीडिया एक ‪#‎जमानत_प्राप्त‬ देशद्रोही की प्रशंसा में पूरा समय खर्च कर दिया।
अब भारत को इन ‪#‎बहुत_क्रांतिकारी‬ न्यूज़ चैनल्स के मालिको की खबर लेना चाहिए ।
कौन इनका मालिक है ?
क्योंकि इसी लेखक ने बताया है कि - पहली बार हम देश के मालिक परिवारों को धन से खरीदने की कोशिस करते हैं ।
अगर वो काम नहीं किया तो ।
CIA और उनकी तरह की अलग संस्था जैसे ह्यूमन राईट कमीशन या NGO और अन्य दल्ले भेड़ियों को खरीदते हैं , जिसमे असहमत नेता किसी वायलेंट अटैक में मार दिया जाता हैं ।
और उससे भी काम न बने तो अमरीका के नौजवानों को हत्या और मृत्यु को चुनने के तकनीक का प्रयोग करते हैं , जैसे कि इराक या अफगानिस्तान।
खैर कोई ऑथेंटिक लिस्ट दे सकता है इन मीडिया के मालिकों का , जो अमेरिका जैसे साम्राज्यवादी ताकतों के दूसरी श्रेणी के तरकीब का प्रयोग कर रही हैं ।
‪#‎इंदिरा‬ ‪#‎राजीव‬ ‪#‎लाल_बहादुर‬ सिंधिया , संजय गांधी , राजेश पायलेट की मौत , आज तक रहस्य है ?

Thursday, 3 March 2016

#‎ईसाई‬ जन्मजात पापी होते हैं और blue blond christian culture एक शजीशकर्ता संस्कृति है / बाइबिल के हिसाब से ‪#‎Sinner_by_birth‬

#‎ईसाई‬ जन्मजात पापी होते हैं और blue blond christian culture एक शजीशकर्ता संस्कृति है /
बाइबिल के हिसाब से ‪#‎Sinner_by_birth‬
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अमेरिका को आजादी मिली 1776 में ।
किससे ?
युरोपियन ईसाई पाइरेट्स जहाँ भी गए वहां पर उन्होंने लूट हत्या चोरी डकैती और बेशर्मी से ईसाइयत का प्रचार किया ।
कोलुम्बस् चला तो था भारत की धन सम्पदा लूटने ।
लेकिन पहुँच गया अमेरिका ।इस लिए वहां के निवासियों का नाम दिया ‪#‎रेड_इंडियन‬
इन रेड इंडियन की सोने चांदी की खदानों और स्टोर पर कब्जा किया और उनकी हत्या की - जैक गोल्डस्टोन ने लिखा Rise of West from 1500 to 1850 .नामक बुक में जो वहां के मिशीगन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है ।
गोल्डस्टोन ये भी लिखता है कि अमेरिकन मूल के लोग exterminate यानि खतम किए गए , उन युरोपियन के द्वारा लाई गयी बीमारियों से ।
लेकिन कौन सी बीमारी , ये नहीं बताता ।
ये अवैज्ञानिक है । आज अमेरिका का आदमी भारत में आएगा और सरकारी नल का पानी पियेगा तो वो डायरिया से मर जाएगा ।लेकिन अपन वही पानी पीकर मस्त रहेंगे।
लेकिन S Gurumurthy के अनुसार 1500 से 1800 के बीच ईसाइयत के नाम पर 20 करोण लोगों की इन डकैतों ने हत्या की ।
अब अमेरिका की आजादी का मतलब समझे ।
वहां गए डकैतों ने लूट के माल में इंग्लैंड की रानी को हिस्सा देने से मना कर दिया ।
यही टोटल उस आजादी की लड़ाई का अर्थ है ।
खैर वहां गुलाम बनाकर ले गए काले यानि नीग्रो लोगों को 1960 तक गोरे अपने बराबर का हिस्सा नही दिए थे । यानि संविधान बनने के लगभग 200 साल बाद तक ।
और भारत में उन्होंने अलग तरकीब अपनाया कारकुशीलव वर्ग (शूद्रों) को बेरोजगार करके उनको ‪#‎डिप्रेस्ड‬ यानि दलित बना दिया ।
हमारे बाबा जी को भी उल्लू बनाया । वे झोला छाप वैटिकन संस्कृतज्ञों की ‪#‎ओरिजिनल_संस्कृत_टेक्स्ट‬ पढ़कर इस निष्कर्ष पर पहुँच गए चूंकि पुरुषोक्त में लिखा है कि शुद्र परमेश्वर के पैरों से पैदा हुवा है इसलिए ‪#‎ब्राम्हणो‬ ने शाजिश के तहत उनको ‪#‎मेनिअल_जॉब‬ अलोट किया ।और उन्होंने भारत के उस कर्मठ लोगों की वंशजों को कुंठा हीनता और घृणा की आग में झोक दिया ।
इन डकैतों की शाजिशों ने रूप बदल दिया है लेकिन मोडस ओपरंडी अभी भी वही है ।

Wednesday, 2 March 2016

#‎सोनिया_टेरर_एंड_रॉबरी_गैंग‬ = ‪#‎कांग्रेस_ई‬ और इशरत कवर उप

#‎सोनिया_टेरर_एंड_रॉबरी_गैंग‬ = ‪#‎कांग्रेस_ई‬
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बात आज की नहीं है।
बात शुरू होती है 1945 से । ब्रिटेन के दूसरे विश्वयुद्ध में पराजित होने के बाद ब्रिटेन की लेबर पार्टी भारत को आजाद करने का निर्णय लेती है ।
लेकिन उस समय सुभास्चंद्र बोस बहुत बड़े नेता थे ।
उनके INA के सपोर्ट में Indian Naval Army ने स्ट्राइक कर दिया ।
अब बात फंस गयी कि ब्रिटिश डकैतों की भारत से safe exite कैसे हो ? आखिर समुद्री रास्ते से ही बाहर जा सकते थे ।
मॉन्टबेटेन उसकी पत्नी का रोल यहाँ आता है ।ब्रिटिश डकैतों के सेफ एक्सिट के लिए भारत के बँटवारे का प्रस्ताव ब्रिटिश की संसद में निर्णय लिया जाता है ।
लुइश् फिशर की Life of Mahatma Gandhi और डोमेनिक लपीएर की freedom at midnight में सप्रमाण इसको डिटेल में लिखा गया है कि जब गांधी ने कहा कि - भारत का बंटवारा उनकी लाश पर होगा ।
और उसके बाद जिन्ना नेहरू और पटेल की सहमति से नेहरू ने बँटवारे के कागजात पर दष्टखत कर दिया तो मॉन्टबेटेन के द्वारा एक वार्तालाप ने पूंछा गया कि गांधी जी आपके वचन का क्या हुवा ?
तो गांधी ने कहा कि - I am spent bullet ।कोई मेरी बात नही मान रहा ।
लेंकिन फ़रवरी 1948 में भारत से पाकिस्तान की यात्रा की इच्छा व्यक्त किया था ।
लेकिन मरने के मात्र 4 दिन पूर्व उन्होंने अपने अंतिम टेस्टामेंट में ‪#‎कांग्रेस‬ को भंग करने की सलाह देकर अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर दिया। गोडसे के सहयोगी जिसको गांधी की हत्या के शाजिश में गिरफ्तार किया गया था उसको मॉन्टबेटेन के आदेश पर छोड़ दिया जाता है। गोडसे गांधी पर 3 गोली चलाता है ।
‪#‎चौथी_गोली‬ किसने चलाया ? ‪#‎subramaniyam‬ स्वामी ने इस प्रश्न को बारम्बार उठाया है ।
अब वापस ‪#‎सुभास‬ बाबू के प्रश्न पर । स्टालिन और नेहरू के गुप्त समझौते के कारन नेहरू यह झूठ बोलते हैं कि उनकी एक हवाई यात्रा में एक्सीडेंट में मौत हो जाती है।और स्वामी के सूत्रों के हवाले से उनको 1954 मे स्टेलिन फांसी दे देता है /
स्टालिन के चरणों में सर झुकाने के बाद भारत के राजनीति और अकादमिया में ‪#‎मरकस_बाबा‬ की नीति और चेलों का कब्जा होता है ।
गांधी के चेले ने गांधी के आर्थिक नीति और सिद्धांतों से U टर्न ले लिया।
अब एक और ताकतवर नेता था भारत में ।
‪#‎वीरसवरकेर‬। उनको गांधी की हत्या में झूंठे रूप से फंसाकर परेशान किया जाता है । और किस्सागो वामपंथियों का प्रिंट मीडिया पर कब्जा करवाकर उनका चरित्रहनन करवाया जाता है ।
दो बड़े नेता सावरकर और सुभाषबाबू को निपटाने के बाद नेहरू का भारत में कई पीढ़ियों तक राज करने और लूटने का रास्ता साफ़ हो जाता है ।
इंदिरा के भारत के विदेशमंत्री दिनेश सिंह से संवंधों के बारे में आज तक कयास लगाया जाता रहा है । दिनेश सिंग के छोटे भाई की स्टालिन के बेटी से गहरा सम्वन्ध था ।क्योंकि सोवियत रूस मे उनकी मौत के बाद वो उनकी लाश उनके गृहजनपद प्रतापगढ़ में लाती है लेकिन फिर रूस वापस न जाकर अमेरिका चली जाती है ।
उसी दौरान इंदिरा के इंटरमीडिएट पास नया नया जवान हो रहे ‪#‎राजीव_गांधी‬ के सामने ‪#‎बार_बाला‬ सोनिया को पोप चारे के रूप में प्रस्तुत करता है , जिसको वो मजे से निगल जाते हैं।
बीच में भारतीय सोच के ‪#‎लालबहादुर‬ शाश्त्री को ताशकंद में 1965 में रास्ते से हटा दिया जाता है ।
क्योंकि उनकी लाश वापस भारत आने पर उनका पोस्टमॉर्टम तक नहीं होता ।
बीच में संजय गांधी सिंधिया और अन्य नेताओंको निपटाने के बाद ‪#‎स्वामी‬ के अनुसार , राजीवगांधी को जब विषकन्या की सच्चाई पता चलती है तो उनको भी निपटा दिया जाता है लिट्टे के हांथों।
अब सुभाष बाबू के कागज पब्लिक हुए तो वेमुल्ला कन्हिया और खालिद करवाया जाता है ।
अब जब पिछले 10 वर्षों के शासन में लाखों करोङो का माल डकारने के बाद एक देशी सोच के नेता ‪#‎मोड़ी‬ के खिलाफ हत्या की शाजिश रचने के बाद ‪#‎इशरत_कांड‬ किया जाता है तो आश्चर्य कैसा ?

#‎हरिजन‬ से मुक्ति पाना क्यों जरूरी था ? और अब बहुजन मुक्ति के मायने क्या हैं ?

#‎हरिजन‬ से मुक्ति पाना क्यों जरूरी था ? और अब बहुजन मुक्ति के मायने क्या हैं ?
विल दुरांत ने J Sunderland का रिफरेन्स देते हुए लिखा -
" मैनें अपनी आँखों से लोगों को भूंख से मरते देखा है।और ये दुर्दशा और भुखमरी overpopulation या अंधविस्वास के कारण नहीं है , जैसा कि उनके benificiery ( अंग्रेज) दावा करते हैं ।बल्कि आज तक के इतिहास में एक देश द्वारा दूसरे देश का सबसे घोर और अपराधिक शोषण के कारण है।मैं बताना चाहता हूँ कि इंग्लैंड ने भारत का खून सैलून साल जिस तरह से चूसा है उसके कारण भारत आज मृत्यु के कगार पर खड़ा है ।" पेज 1-2
" भारत पर ब्रिटिश की जीत एक व्यापारी कंपनी का आक्रमण और उन्नत सभ्यता का विनाश था , जिसका (कंपनी का ) न कोई आदर्श था , न आर्ट के प्रति कोई सम्मान था , वह मात्र भौतिक उपलब्धि की लालच में मदान्ध लोगों का बन्दूक और तलवार के दम पर अव्यवस्थित और असहाय लोगों के ऊपर आक्रमण था जो उत्कोच देकर और हत्याएं करके राज्यों पर अधिकार जमा कर चोरी करने से शुरुवात करते हैं और तत्पश्चात इस अपराध को वैधानिक जामा पहनकर पिछले 173 साल से बुरी तरह लूट (plunder) रहे हैं , और ये आज भी जारी है जब हम इन घटनाओं को लिख और पढ़ रहे हैं ।"पेज -7
" जो लोग आज हिंदुओं की अवर्णनीय गरीबी और असहायता आज देख रहे हैं , उन्हें ये विस्वास ही न होगा ये भारत की धन वैभव और संपत्ति ही थी जिसने इंग्लैंड और फ्रांस के डकैतों (Pirates) को अपनी तरफ आकर्षित किया था। इस " धन सम्पत्ति" के बारे में Sunderland लिखता है :---" ये धन वैभव और सम्पत्ति हिंदुओं ने विभिन्न तरह की विशाल (vast) इंडस्ट्री के द्वारा बनाया था। किसी भी सभ्य समाज को जितनी भी तरह की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्ट के बारे में पता होंगे ,- मनुष्य के मस्तिष्क और हाथ से बनने वाली हर रचना (creation) , जो कहीं भी exist करती होगी , जिसकी बहुमूल्यता या तो उसकी उपयोगिता के कारण होगी या फिर सुंदरता के कारण, - उन सब का उत्पादन भारत में प्राचीन कॉल से हो रहा है । भारत यूरोप या एशिया के किसी भी देश से बड़ा इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग देश रहा है।इसके टेक्सटाइल के उत्पाद --- लूम से बनने वाले महीन (fine) उत्पाद , कॉटन , ऊन लिनेन और सिल्क --- सभ्य समाज में बहुत लोकप्रिय थे।इसी के साथ exquisite जवेल्लरी और सुन्दर आकारों में तराशे गए महंगे स्टोन्स , या फिर इसकी pottery , पोर्सलेन्स , हर तरह के उत्तम रंगीन और मनमोहक आकार के ceramics ; या फिर मेटल के महीन काम - आयरन स्टील सिल्वर और गोल्ड हों।इस देश के पास महान आर्किटेक्चर था जो सुंदरता में किसी भी देश की तुलना में उत्तम था ।इसके पास इंजीनियरिंग का महान काम था। इसके पास महान व्यापारी और बिजनेसमैन थे । बड़े बड़े बैंकर और फिनांसर थे। ये सिर्फ महानतम शिप बनाने वाला राष्ट्र मात्र नहीं था बल्कि दुनिया में सभ्य समझे जाने वाले सारे राष्ट्रों से व्यवसाय और व्यापार करता था । ऐसा भारत देश मिला था ब्रिटिशर्स को जब उन्होंने भारत की धरती पर कदम रखा था ।"पेज- 8-9____ ये थी भारत की आर्थिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रियल और कमर्शियल तस्वीर जब डकैत भारत में आये।
लेकिन जब ये डकैत गए तो ये सारा आर्थिक ढांचा खत्म था। भारत जो अनंत काल से 1750 तक पूरी दुनिया की 25% जीडीपी का मालिक था , और डकैत लोग मात्र 2% के ।1900 में भारत की जीडीपी 25 से घटकर मात्र 2% बचा।अब प्रश्न ये है कि will durant द्वारा प्रस्तुत ‪#‎मैन्युफैक्चरिंग‬ और ‪#‎इंडस्ट्री‬ के ‪#‎मैन्युफैक्चरर‬ का क्या हुवा ?उनकी वंशजों का क्या हुवा ?कहाँ गए वो ??
विल दुरांत के अनुसार - उनको अशिक्षा अंधविस्वास बेरोजगारी , बीमारी और मौत की सौगात मिली।
1875 से 1900 के बीच 22 करोड़ भारतीयों में से 2.5 करोड़ लोग अन्न के अभाव में प्राण त्याग देते हैं ।
बाकी बचे लोगों में से जो लोग गांवों से भागकर शहरो की और गए , विल दुरांत के अनुसार उनको गोरों का मैला उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुवा।
बाकि जो लोग जिन्दा बचे उनको किसी तरह जीवन यापन करने के लिए बाध्य होना पड़ा, अस्वच्छ ही सही जिन्दा तो रहे । यही से अछूत जैसे महामारी का जन्म होता है ।
इन्ही को गांधी ने #हरिजन का नाम दिया ।लेकिन उस शब्द का त्याग करना आवश्यक था क्योंकि गांधी सनातनी हिन्दू थे ।
तो?
एक कहानी गढ़ी गयी कि - हरिजन यानि भगवान की संतान -यानि जिसके माँ बाप का पता न हो ।यानि हरामी । यानि एक गाली। इसी गाली का प्रतिकार करके मायावती का उदय हुवा। फिर रानी वैक्टीरिया प्रदत्त डिप्रेस्ड यानि दलित शब्द की उत्पत्ति हुयी। लेकिन उससे भी बात नहीं बनी तो अब गढ़ा गया ‪#‎बहुजन‬
अब  मैं दलित विद्वानो से पूंछना चाहूँगा कि यदि हरिजन का अर्थ , जिसके बाप भगवान् हैं होता है , तो #बहुजन के क्या मायने हैं ?
ये गाली नहीं है ?
एक बात और बहुजन मुक्ति का अर्थ है उनका Kingdom of God में प्रवेश ।
यानि ‪#‎भर्जिन_मैरी‬ के पुत्र का अनुयायी बनना अर्थात - पैदायशी पापी घोसित करना खुद को ?
तो #महिशासुर पूजक भाइयों आप क्या पैदायशी पापी हो ?
Sinner by birth ?
The Original Sin ?